माउंट आबू – राजस्थान का एकमात्र Hill Station, Mount Abu
माउंट आबू – राजस्थान का एकमात्र Hill Station,Mount Abu, इस पहाड़ी इलाके के ठंडे और सुहाने मौसम का मजा लेने टूरिस्ट्स दूर-दूर से यहां खींचे चले आते हैं। माउंट आबू केवल आज ही नहीं बहुत पुराने समय से ही लोगो को लुभाता आया है। उस समय में भी जब राजा महाराजा या राजघरानों के लोग जब भी राजस्थान की जबरदस्त गरमी से बदहाल हो जाया करते थे तो उनकी सबसे पहली पसंद माउन्ट अबू ही हुआ करती थी।
माउंट आबू राजस्थान के सिरोही जिले में पड़ने वाला एक बहुत ही ख़ूबसूरत हिल स्टेशन है. ये समुद्र तल से 1200 मी ऊपर स्थित है. ये बहुत ही ख़ूबसूरत जगह है, जहाँ पर देश विदेश से लोग पर्यटन ने लिए आते हैं. विश्व प्रसिद्ध दिलावर मंदिर यहीं पर स्थित है. इस हिल स्टेशन का सबसे ऊंचा शिखर गुरु शिखर है, जिसकी ऊंचाई समुद्र ताल से लगभग 1722 मीटर है.
ऐतिहासिक महत्व –
माउंट आबू का प्राचीन नाम ‘अर्बुदांचल’ है. पुराणों में इस स्थान का ज़िक्र ‘अर्बुदारण्य’ के नाम से आता है, जिसका अर्थ है ‘अर्बुद का जंगल’. आबू इसी ‘अर्बुदारण्य’ शब्द से निकला हुआ नाम है.
कुछ ऐतिहासिक जानकारी से यह पता चलता है कि यह क्षेत्र नगाओं, भीलों, सोलंकियों और देवड़ा-चौहान के शासन का हिस्सा था। लेकिन यहाँ के सर्वश्रेष्ठ दिलवाड़ा मंदिर का निर्माण सोलंकियों के शासन में हुआ था।
इस जगह को गौरव केवल ‘गुर्जर’ के शासन प्राप्त हुआ था। जिसके बाद इस स्थान को गुर्जरभूमि’ के रूप में जाना-जाने लगा था। अकबर के मुगल शासन के समय इस जगह की महिमा और महत्व जाने लगा था।
लेकिन ब्रिटिश राज के उदय के साथ इस जगह ने अपना महत्व वापस पा लिया। उस समय माउंट आबू को राजस्थान की ग्रीष्मकालीन राजधानी का शीर्षक भी मिला था। आज माउंट आबू दुनिया भर में एक आकर्षक पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
माउंट आबू Mount Abu के दार्शनिक स्थल की सूची
गुरु शिखर : गुरु शिखर, राजस्थान के अरबुदा पहाड़ों में एक चोटी है जो अरावली पर्वतमाला का उच्चतम बिंदु है। यह 1722 मीटर (5676 फीट) की ऊंचाई पर है। माउंट आबू से १५ किलोमीटरदूर गुरु शिखर अरावली पर्वत शृंखला के साथ ही राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी है। पर्वत की चोटी पर बने इस मंदिर की शांति दिल को छू लेती है। मंदिर की भवन सफेद रंग का है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय को समर्पित है। मंदिर से कुछ ही दूरी पर पीतल की घंटी है जो माउंट आबू को देख रहे संतरी का आभास कराती है। गुरु शिखर से नीचे का दृश्य बहुत ही सुंदर दिखाई पड़ता है। यहाँ पर परमार वंश की कुलदेवी माँ अर्बुद का मंदिर है इस चोटी के निचले भाग में पर्सिद नक्की झिल है
नक्की झील : नक्की झील माउंट आबू का एक सुंदर पर्यटन स्थल है। मीठे पानी की यह झील, जो राजस्थान की सबसे ऊंची झील हैं यह राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित हैं । टॉड रॉक व नन रॉक नक्की झील की मुख्य चट्टाने है। यह सर्दियों में अक्सर जम जाती है। कहा जाता है कि एक हिन्दू देवता ने अपने नाखूनों से खोदकर यह झील बनाई थी। इसीलिए इसे नक्की (नख या नाखून) नाम से जाना जाता है। झील से चारों ओर के पहाड़ियों का दृश्य अत्यंत सुंदर दिखता है। इस झील में नौकायन का भी आनंद लिया जा सकता है। नक्की झील के दक्षिण-पश्चिम में स्थित सूर्यास्त बिंदू से डूबते हुए सूर्य के सौंदर्य को देखा जा सकता है। यहाँ से दूर तक फैले हरे भरे मैदानों के दृश्य आँखों को शांति पहुँचाते हैं।
गौमुख मंदिर : माउंट आबू में शहर से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित गौमुख मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आपको 700 सीढ़ियों की पवित्र चढ़ाई करके जाना होता है।
यह मंदिर अपने आस-पास की घाटी का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। गौमुख मंदिर में पूरे साल पर्यटकों और भक्तों की भीड़ होती है।
वाइल्ड लाइफ सैनचुअरी : ये अरावली पर्वत श्रेणी के मध्य स्थित है. सन 1980 में इसे वाइल्ड लाइफ सैनचुअरी का दर्जा दिया गया. ये लगभग 288 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इस स्थान पर विभिन्न तरह के वनस्पति देखने मिलते हैं. इस सैनच्युअरी में जंगली बिल्ली, भालू, भेदिया, हायना, भारतीय लोमड़ी आदि पाए जाते हैं. इसके अलावा लगभग 250 विभिन्न तरह की पक्षियाँ पायी जाती है.
आबू रोड : ये स्थान बनास नदी के पास स्थित है. ये मुख्यतः एक रेलवे स्टेशन है किन्तु इसके आस- पास का सौंदर्य देखते ही बनता है. यहाँ पर मौसम सुहावना रहता है. यहाँ से कई मुख्य मंदिरों का रास्ता मिलता है.
देलवाड़ा मंदिर : दिलवाड़ा मंदिर या देलवाडा मंदिर, पाँच मंदिरों का एक समूह है। ये राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू नगर में स्थित हैं। इन मंदिरों का निर्माण ग्यारहवीं और तेरहवीं शताब्दी के बीच हुआ था। यह शानदार मंदिर जैन धर्म के र्तीथकरों को समर्पित हैं। दिलवाड़ा के मंदिरों में ‘विमलशाही मंदिर’ प्रथम र्तीथकर को समर्पित सर्वाधिक प्राचीन है जो 1031 ई. में बना था। बाईसवें र्तीथकर नेमीनाथ को समर्पित ‘लुन वासाही मंदिर’ भी काफी लोकप्रिय है। यह मंदिर 1231 ई. में वास्तुपाल और तेजपाल नामक दो भाईयों द्वारा बनवाया गया था। दिलवाड़ा जैन मंदिर परिसर में पांचवा मंदिर संगमरमर का है। मंदिरों के लगभग 48 स्तम्भों में नृत्यांगनाओं की आकृतियां बनी हुई हैं। दिलवाड़ा के मंदिर और मूर्तियां मंदिर निर्माण कला का उत्तम उदाहरण हैं।
पित्तलहार मंदिर: यह मंदिर अहमदाबाद के सुल्तान दादा के मंत्री भीम शाह ने बनवाया था। प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) की विशाल धातु प्रतिमा जो पांच धातुओं में ढाली गयी है, को मंदिर में स्थापित किया गया है।
इस प्रतिमा के निर्माण में मूल धातुओं का प्रयोग किया गया है, अत: इसका नाम पित्तलहार है। इस मंदिर में मुख्य गर्भगृह, गुड मंडप और नवचौक है। मन्दिर में स्थित शिलालेख के अनुसार 1468-69 ईस्वी में 108 मूडों (चार मेट्रिक टन) वजनी मूर्ति प्रतिष्ठित की गई थी।
श्री पार्श्वनाथ मंदिर : भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित यह मंदिर मांडलिक तथा उसके परिवार द्वारा 1458-59 में बनाया गया था। भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर थे। यह एक तीन मंजिला इमारत हैं, जो दिलवाड़ा के सभी मंदिरों में सबसे ऊंची है।
गर्भगृह के चारों मुखों पर भूतल पर चार विशाल मंडप हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर ग्रे बलुआ पत्थर में सुंदर शिल्पाकृतियां हैं जिनमें दीक्षित, विधादेवियां, यक्ष, शब्दांजियों और अन्य सजावटी शिल्पांकन शामिल हैं, जो खजुराहो और कोणार्क के मंदिरों की तुलना में दिखते हैं।
श्री महावीर स्वामी मंदिर : महावीर स्वामी जैन धर्म 24वें तीर्थंकर थे। यह मन्दिर 1582 में बनी एक छोटी सी संरचना है जो भगवान महावीर को समर्पित है। छोटा होने के कारण यह दीवारों पर नक्काशी से युक्त एक अद्भुत मंदिर है। इस मन्दिर के ऊपरी दीवारों पर चित्र सिरोही के कलाकारों द्वारा 1764 में चित्रित किया गये हैं।
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माउन्ट आबू Mount Abu का मौसम (Mount Abu best season for visiting)
माउन्ट आबू का मौसम महीनों के आधार पर नीचे दिया जा रहा है
मार्च से जून : यह समय माउंट आबू में ग्रीष्म ऋतु का समय होता है. राजस्थान में स्थित होने की वजह से यहाँ के समस्त पर्यटन स्थल पर तापमान 32 डिग्री सेल्सिअस से 35 डिग्री सल्सिएस तक होता है. इस समय यहाँ ग्रीष्म ऋतु मुख्यतः अप्रैल से मध्य जून के बीच में होती है.
जुलाई से सितम्बर : इस समय यहाँ मानसून का समय होता है. मानसून की शुरुआत यहाँ मुख्यतः जून के अंतिम दिनों से ही शुरू हो जाती है. इस समय यहाँ पर गर्मी से कुछ राहत होती है. मानसून के दौरान यहाँ पर जोर की बारिश होने की सम्भावना सदैव बनी रहती है. आसमान में सदैव बादल छाये हुए रहते हैं.
अक्टूबर से फरवरी : माउंट आबू में ये समय शीत ऋतु का होता है. इस दौरान यहाँ पर खूब ठण्ड पड़ती है. दिसम्बर से जनवरी के बीच यहाँ का तामपान 8 डिग्री सल्सियस तक गिर जाता हैं, और कडाके की ठण्ड पड़ती है.
माउंट आबू Mount Abu घुमने का अच्छा समय –
माउंट आबू में वैसे तो साल भर अच्छी जलवायु होती है, क्योंकि यह जगह समृद्ध वनस्पतियों से घिरी हुई है, जिसमें फूलों के झाड़ियाँ और शंकुधारी वृक्ष भी हैं।
अगर आप माउंट आबू में घूमने के बारे में सोच रहे हैं तो बता दें कि इस जगह की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मानसून और सर्दियों के दौरान है।
इसका मतलब यह है आप जुलाई से – फरवरी तक कभी भी माउंट आबू की सैर कर सकते हैं। इन महीनों का सुंदर मौसम और सुखद तापमान इस जगह की यात्रा के लिए उत्कृष्ट है।
कैसे पहुंचें माउंट आबू Mount Abu
सड़क मार्ग : नियमित बस और टैक्सी सेवा द्वारा इस शहर तक रास्ते द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। कई प्रमुख भारतीय शहरों जैसे नई दिल्ली, मुंबई, जयपुर, उदयपुर और अहमदाबाद से माउंट आबू के लिए बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। यात्रियों की भीड़ के अनुसार बसों की आवृत्ति दैनिक से साप्ताहिक होती है। बस का किराया बस की सुविधाओं और आराम पर निर्भर करता है।
ट्रेन द्वारा : माउंट आबू तक रेल द्वारा पहुँचा जा सकता है जहाँ निकटतम रेलवे स्टेशन अबू रोड़ शहर है जो 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। अबू रोड़ स्टेशन दो बड़े महानगरों मुंबई और नई दिल्ली को जोड़ने वाले मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है। यहाँ से कई मुख्य शहरों जैसे बेंगलुरू, हैदराबाद, नई दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद, पुणे, मुंबई, जयपुर, देहरादून और त्रिवेंद्रम के लिए रेल सेवा उपलब्ध है।
एयर द्वारा : हवाई मार्ग द्वारा माउंट आबू पहुँचने के लिए आप उदयपुर की उड़ान ले सकते हैं जो माउंट आबू का निकटतम हवाई अड्डा है। उदयपुर हवाई अड्डा इस शहर से 185 किमी. की दूरी पर स्थित है। एक अन्य उपलब्ध विकल्प यह है कि आप गुजरात के अहमदाबाद की उड़ान ले सकते हैं। गुजरात की इस राजधानी से सभी प्रमुख भारतीय शहरों के लिए उड़ाने उपलब्ध हैं। गुजरात का हवाई अड्डा माउंट आबू से 221 किमी. की दूरी पर स्थित है और यहाँ से हिल स्टेशन के लिए परिवहन सुविधा आसानी से उपलब्ध है।