Contents
- 1 राणी सती मंदिर झुंझुनू का इतिहास | Rani Sati Temple Jhunjhunu History In Hindi:
- 2 रानी सती मंदिर झुंझुनू की कथा – Story of Rani Sati Temple in Hindi
- 3 रानी सती मंदिर झुंझुनू घूमने का समय
- 4 कैसे पहुंचें रानी सती मंदिर झुंझुनू-
- 4.1 फ्लाइट से रानी सती मंदिर झुंझुनू कैसे पहुचें – How To Reach Rani Sati Temple Jhunjhunu By Flight in Hindi
- 4.2 रानी सती मंदिर झुंझुनू ट्रेन से कैसे जाएँ – How To Reach Rani Sati Mandir Jhunjhunu By Train in Hindi
- 4.3 सड़क मार्ग से रानी सती मंदिर झुंझुनू कैसे पहुचें – How to Reach Rani Sati Temple Jhunjhunu by Road in Hindi
रानी सती मंदिर झुंझुनू राजस्थान के झुंझुनू जिले में स्थित है। रानी सती की पूजा के लिए समर्पित यह सबसे बड़ा मन्दिर है। रानी सती की पूजा के लिए अन्यत्र भी बहुत से मन्दिर बने हैं किन्तु यह सबसे भव्य और प्राचीन है।यह मंदिर किसी देवता को नहीं बल्कि व्यक्ति विशेष को समर्पित है। जी हां, इस मंदिर का नाम है ‘रानी सती मंदिर’।माँ नारायणी इनका वास्तविक नाम हैं. भक्तों के संकट हरने वाली देवी सती के भारत में कई मंदिर हैं जिनमें मुख्य एवं सबसे बड़ा मंदिर झुंझुनू जिले में ही स्थित हैं.
बाहर से देखने में ये मंदिर किसी राजमहल सा दिखाई देता है। पूरा मंदिर संगमरमर से निर्मित है। इसकी बाहरी दीवारों पर शानदार रंगीन चित्रकारी की गई है। मंदिर में शनिवार और रविवार को खास तौर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
राणी सती मंदिर झुंझुनू का इतिहास | Rani Sati Temple Jhunjhunu History In Hindi:
इसके इतिहास पर नज़र डालते हैं ये मंदिर 400 साल पुराना है। यह मंदिर सम्मान, ममता और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। मंदिर में मिले प्रमाणों और कई कहानियों के अनुसार इस मंदिर की देवता रानी सती है, जो एक राजस्थानी महिला रानी थी। रानी सती का वास्तविक नाम नारायणी बताया जाता है। कहानियों के अनुसार एक युद्ध के दौरान नारायणी देवी/रानी सती के पति की मौत हो जाती है जिसके बाद वो भी सती हो जाती है। धीरे-धीरे लोग इन्हें आदि शक्ति का रूप मनाने लगे और रानी सती के रूप में पूजा जाने लगा। इस मंदिर को कई लोग रानी सती दादी के नाम से भी जानते हैं।
“जगदंबा जग तारिणी, रानी सती मेरी मात|
भूल चूक सब माफ़ कर, रखियो सिर पर हाथ||
रानी सती मंदिर झुंझुनू की कथा – Story of Rani Sati Temple in Hindi
झुंझुनू वाली रानी सती की कथा (Story of Rani Sati Temple in Hindi) कई बर्षो नही बल्कि कई युगों पुरानी मानी जाती है। पौराणिक कथाओं और किवदंतीयों की माने तो रानी सती की कथा महाभारत के समय से शुरू होती है जो अभिमन्यु और उनकी पत्नी उत्तरा से जुड़ी हुई है। महाभारत के भीषण युद्ध में कोरवो द्वारा रचित चक्रव्यूह को तोड़ते हुए जब अभिमन्यु की मृत्यु हुई, तो उत्तरा कौरवों द्वारा विश्वासघात में अभिमन्यु को अपनी जान गंवाते देख उत्तरा शोक में डूब गई और अभिमन्यु के सतह सती होने का निर्णय ले लिया। लेकिन उत्तरा गर्भ से थी और एक बच्चो को जन्म देने वाली थी।
यह देखकर श्री कृष्ण ने उत्तरा से कहा कि वह अपना जीवन समाप्त करने के विचार को भूल जाए, क्योंकि यह उस महिला के धर्म के खिलाफ है जो अभी एक बच्चे को जन्म देने वाली है। श्री कृष्ण की यह बात सुनकर उत्तरा बहुत प्रभावित हुई और उन्होंने सती होने के अपने निर्णय को बदल लिया लेकिन उसके बदले उन्होंने ने एक इच्छा जाहिर जिसके अनुसार वह अगले जन्म में अभिमन्यु की पत्नी बनकर सती होना चाहती थी।
उसके बाद उत्तरा अगले जन्म में राजस्थान के डोकवा गाँव में गुरसमल बिरमेवाल की बेटी के रूप में पैदा हुई थी जिनका नाम नारायणी रखा गया था। जबकि अभिमन्यु का जन्म हिसार में जलीराम जालान के पुत्र के रूप में हुआ था और उनका नाम तंदन जालान रखा गया था। तंदन और नारायणी ने शादी कर ली और शांतिपूर्ण जीवन जी रहे थे। उनके पास एक सुंदर घोड़ा था जिस पर हिसार के राजा के पुत्र की नजर थी जो उसे किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहता था लेकिन तंदन ने अपना कीमती घोड़ा राजा के बेटे को सौंपने से इनकार कर दिया।
राजा का बेटा तब घोड़े को जबरदस्ती हासिल करने का फैसला करता है और इस तरह टंडन को द्वंद्वयुद्ध के लिए चुनौती देता है। तंदन बहादुरी से लड़ाई लड़ता है और राजा के बेटे को मार डालता है। तभी राजा क्रोधित हो उठता है और तंदन को धोके से मार देता है। तंदन की वीरगति प्राप्ति को देखकर नारायणी कुछ समय के लिए तो शोक में डूब जाती है लेकिन कुछ समय बाद वीरता और पराक्रम से लड़कर राजा को मार गिराती है और अपने पति की हत्या का प्रतिशोध पूरा कर लेती है। उसके बाद अपने पति के साथ सती होने की इच्छा को सामने रखते हुए तंदन के साथ सती हो गई।
उसके बाद से ही नारायणी को नारी वीरता और शक्ति की प्रतीक के रूप में पूजा जाना लगा और उन्होंने रानी सती, दादी माँ, झुंझुनू वाली रानी सती जैसे अन्य नामों से पुकारा और पूजा जाने लगा।
रानी सती मंदिर झुंझुनू घूमने का समय
मंदिर सुबह 5 बजे से दोपहर एक बजे तक और शाम 3 बजे से रात्रि 10 बजे तक खुला रहता है। मंदिर के गर्भ गृह में निकर और बरमुडा पहने लोगों का प्रवेश वर्जित है। मंदिर का दफ्तर सुबह 9 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए विशाल आवास बना है, जहां 100 रुपये से लेकर 700 रुपये तक के कमरे उपलब्ध हैं। मंदिर में एक कैंटीन और एक भोजनालय भी है। कैंटीन में दक्षिण भारतीय भोजन भी उपलब्ध है। भोजन दिन में 11 बजे से 1 बजे तक और शाम को 8 बजे से 10 बजे तक उपलब्ध रहता है।
कैसे पहुंचें रानी सती मंदिर झुंझुनू-
फ्लाइट से रानी सती मंदिर झुंझुनू कैसे पहुचें – How To Reach Rani Sati Temple Jhunjhunu By Flight in Hindi
यदि आप फ्लाइट से ट्रेवल करके झुंझुनू घूमने जाने कि सोच रहें हैं तो हम आपको बता दे झुंझुनू के लिए कोई सीधी फ्लाइट कनेक्टविटी नही है। इसके लिए आपको जयपुर हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट लेनी होगी। जयपुर एयरपोर्ट झुंझुनू का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है जो झुंझुनू से लगभग 185 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रानी सती मंदिर झुंझुनू ट्रेन से कैसे जाएँ – How To Reach Rani Sati Mandir Jhunjhunu By Train in Hindi
ट्रेन से ट्रेवल करके रानी सती मंदिर घूमने जाना पर्यटकों द्वारा सबसे अधिक पसंद किये जाने वाले ऑप्शन हैं क्योंकि झुंझुनू का अपना रेलवे जंक्शन है जो रानी सती मंदिर से महज 6.00 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। आप जब भी ट्रेन से यात्रा करके झुंझुनू रेलवे स्टेशन पहुचेगें तो रेलवे स्टेशन के बाहर से ऑटो, टेक्सी या अन्य स्थानीय परिवहन से आसानी से लगभग 20 मिनिट में रानी सती मंदिर जा सकते है।
सड़क मार्ग से रानी सती मंदिर झुंझुनू कैसे पहुचें – How to Reach Rani Sati Temple Jhunjhunu by Road in Hindi
सड़क मार्ग से भी रानी सती मंदिर झुंझुनू की यात्रा करना काफी आसान और सुविधाजनक हैं क्योंकि झुंझुनू रोड नेटवर्क द्वारा राजस्थान के सभी शहरों से जुड़ा है साथ ही झुंझुनू के लिए आसपास के सबसे प्रमुख शहरों से बसें से भी चलती है जिनसे पर्यटक आसानी से झुंझुनू आ सकते है। इनके अलावा आप अपनी पर्सनल कार या एक टेक्सी बुक करके भी यहाँ घूमने आ सकते है।