केदारनाथ धाम भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।

यह मंदिर भगवान शिव शंकर जी का मंदिर हैं, जोकि कई साल पुराना है. यह भारत के उत्तराखंड केदारनाथ में मंदाकिनी नदी के पास गढ़वाल हिमालयी सीमा पर स्थित है. यह ऋषिकेश से 221 किलोमीटर की दूरी पर है. यह भगवान शिव की 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं.

केदारनाथ का मंदिर 3593 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ एक भव्य एवं विशाल मंदिर है। इतनी ऊंचाई पर इस मंदिर को कैसे बनाया गया, इसकी कल्पना आज भी नहीं की जा सकती है! 

ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतध्र्यान हुए, तो उनके धड से ऊपर का हिस्सा काठमाण्डू में प्रकट हुआ। अब वहां पशुपतिनाथ का मंदिर है। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथमें, नाभि मदमदेश्वरमें और जटा कल्पेश्वरमें प्रकट हुए। इसलिए इन चार स्थानों सहित श्री केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है।

 केदारनाथ नाम कहा से आया इसे लेकर के कई लोगों के अलग-अलग कहानी है, लेकिन जो सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है वो है कि सतयुग में शासन करने वाले राजा केदार के नाम पर इस स्थान का नाम केदार पड़ा। केदार नाथ हिंदुओं के चार धामों में से एक महत्वपूर्ण धाम है जैसे- बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री

जब भक्ति का प्रसाद पाएंगे,
जब बाबा भोलेनाथ बुलाएंगे,

उठाकर झोला अंजान राहो से
तभी हम केदारनाथ जाएंगे।

दर्शन का समय-

केदारनाथ जी का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 7:00 बजे खुलता है। दोपहर एक से दो बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है। पुन: शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर खोला जाता है।पांच मुख वाली भगवान शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक नियमित आरती होती है। रात्रि 8:30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।

शीतकाल में केदारघाटी बर्फ से ढंक जाती है। यद्यपि केदारनाथ-मन्दिर के खोलने और बन्द करने का मुहूर्त निकाला जाता है, किन्तु यह सामान्यत: नवम्बर माह की 15 तारीख से पूर्व बन्द हो जाता है और छ: माह बाद अर्थात वैशाखी (13-14 अप्रैल) के बाद कपाट खुलता है ऐसी स्थिति में केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को ‘उखीमठ में लाया जाता हैं। इसी प्रतिमा की पूजा यहां भी रावल जी करते हैं।

केदारनाथ के रास्ते में विभिन्न स्थनों की दूरियां

  • दिल्ली से हरिद्वार: 250 से 300 किलोमीटर
  • हरिद्वार से ऋषिकेश: 24 किलोमीटर
  • ऋषिकेश से देवप्रयाग: 71 किलोमीटर
  • देवप्रयाग से श्रीनगर: 35 किलोमीटर
  • श्रीनगर से रुद्रप्रयाग: 32 किलोमीटर
  • रुद्रप्रयाग से दो रास्ते: एक रास्ता केदारनाथ और दूसरा रास्ता बदरीनाथ
  • रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी: 45 किलोमीटर
  • गुप्तकाशी से सोनप्रयाग: 31 किलोमीटर
  • सोनप्रयाग से गौरीकुंड: 5 किलोमीटर
  • गौरीकुंड से केदारनाथ: 16 किलोमीटर (नया रास्ता और पैदल चढ़ाई)

केदारनाथ की यात्रा में ज्यादातर श्रद्धालु अपने स्थान से हरिद्वार तक ट्रैन से यात्रा करते है. फिर हरिद्वार से ऋषिकेश की यात्रा टैक्सी, टेम्पू या बस से करते है. हरिद्वार और ऋषिकेश दोनों स्थानों से आपको सोनप्रयाग के लिए बस सेवा मिल जायेगी। सोनप्रयाग पहुँचने पर आप शेयरिंग टैक्सी से गौरीकुंड जाते है. गौरीकुंड से 16 किलोमीटर की यात्रा पैदल ही तय करनी पड़ती है. यह रास्ता थोड़ा खराब होता है इसलिए संभलकर जाना पड़ता है. कई लोगो को केदारनाथ यात्रा के दौरान ऑक्सीजन की कमी भी महसूस होती है. इसलिए वहां रास्तें में ऑक्सीजन लेने की व्यवस्था बनाई गई है.

चार धाम की यात्रा पर जाने से पहले रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है. आप उत्तराखंड में चार धाम यात्रा के लिए registrationandtouristcare.uk.gov.in पर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन के बाद आपको क्यूआर कोड के साथ यात्रा रजिस्ट्रेशन जनरेट करना होगा. इसका वेरिफिकेशन धाम पर होगा.

By JP Dhabhai

Hi, My name is JP Dhabhai and I live in Reengus, a small town in the Sikar district. I am a small construction business owner and I provide my construction services to many companies. I love traveling solo and with my friends. You can say it is my hobby and passion.

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