हरिद्वारउत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले का एक पवित्र नगर तथा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ है। यह नगर निगम बोर्ड से नियंत्रित है। यह बहुत प्राचीन नगरी है। हरिद्वार हिन्दुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है।

हिमालय पर्वत की तलहटी में बसा हुआ नगर हरिद्वार एक धार्मिक शहर है। यह शहर तीन ओर से पहाड़ी से घिरा हुआ है शिवालिक पर्वत की पहाड़ियों से घिरे इस पावन धार्मिक बाई ओर पवित्र पावन गंगा नदी बहती है। उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध चारधाम यमुनोत्री, केदारनाथ और बढ़ीनाथ जैसे भारतीय संस्कृति का शाश्वत संदेश देने वाले अडिग ज्यलों की यात्रा यही से प्रारम्भ होती है।

हरिद्वार ही भारत का एकमात्र ऐसा धार्मिक पवित्र शहर है जहाँ किसी न किसी मंदिर अथवा तीर्थ पर गंगा माँ सहित सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना होती है। हरिद्वार एक मात्र ऐसा धार्मिक स्थान है जहाँ सम्पूर्ण वर्ष धार्मिक श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है हरिद्वार में प्रत्येक चारहवे वर्ष में पूर्ण कुम्भ तथा प्रत्येक छठे वर्ष में अर्थकुम्भ मेला लगता है। कुम्भ मेले के समय यहाँ लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान करने आते है। ऐसी मान्यता है कि जो एक बार हरिद्वार में गंगा स्नान कर लेता है उसे करोड़ो तीथों का फल प्राप्त हो जाता है। यहाँ सैकड़ो देवी देवताओं के मन्दिर, धर्मशालायें, गंगा घाट मौजूद है। सन्त, महात्माओं, सन्यासियों की भीड़ हरिद्वार में हमेशा रहती है। यहाँ केवल धार्मिक आस्था वाले व्यक्ति ही नहीं आते यहाँ विदेशी पर्यटक भी शांति की खोज के लिये आते है जो उन्हें यहीं प्राप्त होती है। यह शांतिधाम तथा मन्दिरों की नगरी है। यहाँ कई दर्शनीय स्थल है जिनमें से मुख्य निम्न है :

हरिद्वार – हरि (भगवान) का द्वार

हर की पौड़ी सम्पूर्ण हरिद्वार शहर ही दर्शनीय है किन्तु हरि की पौड़ी का अपना विशेष स्थान है। कहा जाता है कि यहाँ पर दक्ष तथा देवों ने भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन किये थे। विष्णु भगवान की यहाँ कुम्भ पूजा होती है। यहाँ का तीर्थस्थल ब्रहमकुण्ड कुम्भ के समय साधुओं सन्तों का विशिष्ट स्थान होता है। हरि की पौड़ी पर गंगा मन्दिर, शंकराचार्य मन्दिर, लक्ष्मीनारायण मन्दिर, गंगाधर मन्दिर और नवग्रह मंन्दिर आदि है। ब्रह्म कुण्ड की दक्षिण दिशा में गऊघाट है। इस घाट पर स्नान करने से गौदान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

यह स्थान बड़ा रमणीक है और यहाँ की गंगा हिन्दुओं द्वारा बहुत पवित्र मानी जाती है। कतिपय प्रमुख पुराणों में हरिद्वार, प्रयाग तथा गंगासागर में गंगा की सर्वाधिक महिमा बतायी गयी है:-

सर्वत्र सुलभा गंगा त्रिषु स्थानेषु दुर्लभा।
गंगाद्वारे प्रयागे च गंगासागरसंगमे।
तत्र स्नात्वा दिवं यान्ति ये मृतास्तेऽपुनर्भवाः।।

सड़क मार्ग से (By Road)

Haridwar पहुँचने के लिए आपको सबसे आपको दिल्ली के ISBT बस स्टैंड पहुंचना होगा यहां से आपको Haridwar  के लिए सीधी वोल्वो एसी बस बहुत आसानी से मिल जाएगी यह बस आपको दिल्ली से Haridwar 4 से 5 घंटे में पहुँचा देगी। दिल्ली से Haridwar की दूरी 242  किलोमीटर की है।

रेल द्वारा ( By Train ) 

Haridwar भारत के सभी शहरों के रेलवे स्टशनों से बहुत अच्छे से जुड़ा हुआ है। आप Haridwar सीधे ट्रैन की मदद से बहुत आसानी से पहुंच सकते हो।

हवाई मार्ग से ( By Air )

देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा Haridwar का निकटतम हवाई अड्डा है। जो लगभग Haridwar से 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है। यहां से आप टैक्सी की मदद से बहुत आसानी से Haridwar तक पहुँच सकते हो।

यहाँ कई दर्शनीय स्थल है जिनमें से मुख्य निम्न है :

हर की पौड़ी : हरिद्वार में गंगा के किनारे हर की पौड़ी प्रमुख और लोकप्रिय घाट है। इसे राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था।

मनसा देवी मन्दिर : मंदिर मनसा देवी के पवित्र निवास के लिए जाना जाता है, जो शक्ति का एक रूप है और कहा जाता है कि यह भगवान शिव के दिमाग से निकला है । मनसा को नाग (नागिन) वासुकी की बहन माना जाता है। उन्हें उनके मानव अवतार में भगवान शिव की पुत्री भी माना जाता है।
माया देवी मन्दिर : हरिद्वार में भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में एक माया देवी का मंदिर है। यहां माता सती का हृदय और नाभि गिरे थे। माया देवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है, जिसका इतिहास 11 शताब्दी से उपलब्ध है। मंदिर के बगल में ‘आनंद भैरव का मंदिर’ भी है।
चण्डी देवी मन्दिर : हरिद्वार में गंगा के दूसरे किनारे पर नील पर्वत पर चार कि०मी० की चढाई की दूरी पर चण्डी देवी का प्रसिद्ध मन्दिर है। इसे कश्मीर के राजा सुचात सिंह ने 1929 में बनवाया था। यहाँ जीप, कार, घोड़ो से पहुँचा जा सकता है। कुछ धर्म प्रेमी यहाँ की पैदल यात्रा भी करते है। यहाँ पर लगने वाला चण्डी चौदस का मेला काफी प्रसिद्ध है

यात्रा के लिए अन्य स्थान है: वैष्णो देवी मन्दिर, भारत योगा मन्दिर, सप्तर्षि आश्रम/सप्त सरोवर, शान्तिकुंज/गायत्री शक्तिपीठ, कनखल, पारद शिवलिंग, दिव्य कल्पवृक्ष वन, पतंजलिपीठ

By JP Dhabhai

Hi, My name is JP Dhabhai and I live in Reengus, a small town in the Sikar district. I am a small construction business owner and I provide my construction services to many companies. I love traveling solo and with my friends. You can say it is my hobby and passion.

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