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प्रेमानंद महाराज जी का जन्म :
प्रेमानंद महाराज जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के अखरी गांव सरसोल ब्लॉक में हुआ था । वे एक धार्मिक और साधारण परिवार में जन्मे थे। बचपन से ही प्रेमानंद जी का बौद्धिक स्तर उच्च कोटि का था । प्रेमानंद जी को बचपन से ही मंदिर जाना , पूजा पाठ करना , धार्मिक किताबें पढ़ना बहुत पसंद था ।
प्रेमानंद महाराज जी के परिवार का परिचय :
प्रेमानंद जी के पिता का नाम श्री शंभू पांडे और उनकी माता का नाम रमा देवी था । उनके दादाजी भी सन्यासी थे इसलिए प्रेमानंद जी के घर का वातावरण पवित्र एवं निर्मल था । उनके माता-पिता हमेशा साधु-संतों का बहुत आदर सम्मान किया करते थे । प्रेमानंद जी के बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था ।
प्रेमानंद महाराज जी की शिक्षा :
प्रेमानंद जी जब नवी कक्षा मैं थे , तब से आध्यात्मिक जीवन जीने का दृढ़ संकल्प कर लिया था। प्रेमानंद जी ने स्कूल में पढ़ने और भौतिकवादी ज्ञान प्राप्त करने पर प्रश्न उठाया । उन्होंने कहा कि यह शिक्षा उन्हें अपने जीवन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद नहीं कर सकती ।
वास्तविक शिक्षा तो प्रभु के स्मरण एवं सेवा में है । उन्होंने बहुत छोटी उम्र में विभिन्न चालीसा का पाठ करना शुरू कर दिया था , धार्मिक ग्रंथों को पढ़ना शुरू कर दिया था ।
13 वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने घर त्याग कर श्री गौरंगी शरण जी महाराज को गुरु के रूप में स्वीकार किया । घर छोड़ने के बाद प्रेमानंद जी ने ब्रह्मचर्य का पालन किया , और अपना नाम बदलकर आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी रखा । काफी समय बाद जब उन्हें सिद्धि प्राप्त हुई, तब उनका नाम स्वामी आनंदश्रम रखा गया ।
प्रेमानंद जी के विचार :
आपको यह जानकर हैरानी होगी , कि प्रेमानंद जी की दोनों किडनी 10- 15 वर्षों से काम नहीं कर रही हैं । प्रेमानंद जी को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग है । जिसे PKD कहा जाता है । यह एक वंशानुगत बीमारी है। इस बीमारी से ग्रसित लोगों की आयु बहुत कम होती है, और वह अपने जीवन के अंतिम चरण में होते हैं । इस बीमारी के कारण कई शारीरिक कष्टों को झेलना पड़ता है । इस बीमारी के लोगों को डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत होती है ।
प्रेमानंद जी महाराज की बीमारी को जानने के बाद कई श्रद्धालुओं ने उन्हें किडनी देने के लिए कहा लेकिन महाराज जी ने अस्वीकार कर दिया । उन्होंने कहा कि मुझे किडनी की आवश्यकता नहीं हैब। मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं । मेरे शरीर को जितने दिन चलना होगा। वह चलेगा । उसके बाद उस परमपिता में विलीन हो जाएगा । मेरा जीवन समाज के कल्याण और सुख देने के लिए है। मैं अपने सुख के लिए किसी और को कष्ट दु इससे बेहतर तो मेरा जीवन समाप्त ही हो जाए । प्रेमानंद जी का मानना है कि इस रोग के बावजूद भी मैं खुश हूं । प्रभु की मुझ पर कृपा है ।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि हमारा शरीर नश्वर है । एक ना एक दिन सभी को यह संसार छोड़ कर जाना होगा इसीलिए सबको धर्म में ध्यान देना चाहिए धर्म का मार्ग अपनाना चाहिए ।
प्रेमानंद जी कहते हैं , कि इस बीमारी के बाद भी मेरा चेहरा कभी उदास नहीं होता । मैं हमेशा हंसता मुस्कुराता हूं । मैं रोज सुबह 3:00 बजे उठ जाता हूं । अपने प्रभु की आराधना करता हूं । मेरी दिनचर्या को देखकर कई लोगों को यह विश्वास नहीं होता, कि यह व्यक्ति बिना डायलिसिस बिना किडनी ट्रांसप्लांट के भी जीवित है ।
प्रेमानंद जी का सन्यासी जीवन :
प्रेमानंद जी अपनी माता से बहुत प्यार करते थे , इसलिए उन्होंने अपने मन की बात अपनी माता से कही। उन्होंने अपनी मां से कहा की ‘अम्मा मेरा मन आप घर में नहीं लगता मुझे भगवान को खोजने जाना है‘।
तब उनकी माता ने कहा कि भगवान को खोजना है, उनका भजन कर लो । प्रेमानंद जी ने कहा माता मुझे सन्यासी जीवन जीना है । माता को लगा, कि इसमें किसी संत का सत्संग सुना होगा , इसीलिए ऐसी बातें कर रहा है। प्रेमानंद जी ने अपने मन की बात को सुना और घर से निकल गए ।
उनका पूरा जीवन साधक की तरह गंगा नदी के तट पर बीता । कई दिनों तक उपवास किए । भीषण गर्मी का सामना किया । उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा । लेकिन फिर भी पूरी तरह परमपिता के ध्यान में लीन रहे । सन्यास के बहुत वर्षों बाद उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त हुई । बनारस के वृक्ष के नीचे श्री श्यामा श्याम कृपा से वृंदावन की ओर आकर्षित हुए । वहां चैतन्य महाप्रभु की लीलाएं देखा करते थे । यह उनके जीवन का बहुत बड़ा बदलाव था । वृंदावन में श्री राधा के चरणों में, उनकी भक्ति में डूब गए ।
प्रेमानंद जी महाराज से जुड़े तथ्य :
- वर्तमान समय में प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में रहते हैं ।
- उनका पूरा समय ध्यान और आध्यात्मिक गतिविधियों में बीत रहा है ।
- यह बहुत अच्छी बात है कि महाराज वृद्धावस्था में होने के बात भी बहुत स्वस्थ हैं ।
- उनकी शिक्षाएं दर्शन दुनिया भर में प्रसिद्ध है ।
- वृंदावन में एक आध्यात्मिक संगठन है जिसकी स्थापना प्रेमानंद महाराज जी ने द्वारा की गई है जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों और शांति और प्रेम की संदेश के माध्यम से इसकी शुरुआत की गई ।
- यह लोगों की आंतरिक शांति योग ध्यान आध्यात्मिक अभ्यास के लिए बनाया गया है ।
- प्रेमानंद जी महाराज को वृंदावन में पीले बाबा के नाम से भी जाना जाता है।
- प्रेमानंद जी महाराज लोगों को श्री राधा रानी जी के भक्ति मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं ।
- हर किसी को ईश्वर में विश्वास करना चाहिए । सरल जीवन जीना चाहिए । कभी किसी का अहित नहीं सोचना चाहिए। ऐसे उपदेश देते हैं।
भारत की प्रसिद्ध क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी धर्मपत्नी अनुष्का शर्मा और उनकी बेटी वामिका अपने परिवार के साथ श्री प्रेमानंद जी महाराज के आशीर्वाद लेने के लिए वृंदावन गए थे । उन्होंने महराज जी का सत्संग सुना । वह उनसे बहुत प्रभावित हुए । उनकी यह फोटोस इंटरनेट पर बहुत वायरल हो गई थी।
वृंदावन कैसे जाएं :
वृंदावन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में है । अगर आप फ्लाइट से वृंदावन जाते है , तो वृंदावन के नजदीक खेरिया एयरपोर्ट है जो वृंदावन से करीब 72 किलोमीटर की दूरी पर आगरा में है । आप वहां पहुंच कर , वहां से प्राइवेट टैक्सी करके या बस के माध्यम से वृंदावन पहुंच सकते है ।
अगर आप ट्रेन से वृंदावन बन जा रहे हैं, तो वृंदावन से सबसे पास मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन है । जो वृंदावन से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।आप किसी भी शहर से ट्रेन के द्वारा मथुरा जंक्शन पर उतर कर वहां से प्राइवेट टैक्सी के द्वारा वृंदावन पहुंच सकते हैं ।
वृंदावन के लिए आगरा बरेली रामपुर मुरादाबाद उत्तर प्रदेश के कई शहरों से बस की सुविधा भी उपलब्ध है । दिल्ली से भी वृंदावन के लिए बस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है ।
आप बस के द्वारा भी वृंदावन पहुंच सकते हैं । हर जगह से आप बस द्वारा वृंदावन पहुच सकते है ।
आगरा शहर से मथुरा लगभग 60 किलोमीटर है जहां आप अपनी बाइक या कार के द्वारा भी वृंदावन पहुंच सकते हैं । इसके अतिरिक्त आप अपने शहर से एक प्राइवेट टैक्सी को बुक करके मथुरा में वृंदावन आ सकते हैं।
प्रेमानंद जी महाराज का आश्रम :
वर्तमान समय में प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन के श्री हित राधा केली कुंज वृंदावन परिक्रमा मार्ग वराह घाट वृंदावन उत्तर प्रदेश 281121 के आश्रम में रहते है । आप उनके दर्शन हेतु वहां जा सकते हैं । प्रेमानंद जी महाराज से कांटेक्ट करने के लिए कोई सार्वजनिक रूप में कोई नंबर उपलब्ध नहीं है , इसलिए आप उनके आश्रम जाकर जी उनसे मिल सकते हैं। बाबाजी का यूट्यूब पर एक चैनल है । जिसमें 3 लाख सब्सक्राइबर है । आप वहां उनके प्रवचनों को सुन सकते है ।