Top 15 Places to Visit in Uttarakhand Chardham yatra : उत्तराखंड के बाहर से आने वाले यात्री चारधाम की यात्रा सामान्यतः हरिद्वार या ऋषिकेश से प्रारंभ करते हैं वैसे चार धाम की यात्रा करने के लिए कई रास्ते हैं लेकिन जो यात्री भारत के अलग-अलग जगहों से आते हैं उनकी यात्रा हरिद्वार से ही शुरू होती है|
यहां से जो चार धाम यात्रा का मार्ग है वह हरिद्वार से शुरू होकर ऋषिकेश, देवप्रयाग, टिहरी धरासू, यमुनोत्री, उत्तरकाशी, गंगोत्री, त्रियुगीनारायण, गौरीकुंड, केदारनाथ, और बद्रीनाथ पर जाकर समाप्त होती है|
इस रास्ते में इन चार धाम के अलावा बाकी के पड़ाव भी धार्मिक और पर्यटन के रूप से बहुत प्रसिद्ध है|
Top 15 Places to Visit in Uttarakhand Chardham yatra
1 हरिद्वार : उत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले का एक पवित्र नगर तथा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ है। यह नगर निगम बोर्ड से नियंत्रित है। यह बहुत प्राचीन नगरी है। हरिद्वार हिन्दुओं के सात पवित्र स्थलों में से एक है।
हिमालय पर्वत की तलहटी में बसा हुआ नगर हरिद्वार एक धार्मिक शहर है।
यह शहर तीन ओर से पहाड़ी से घिरा हुआ है शिवालिक पर्वत की पहाड़ियों से घिरे इस पावन धार्मिक बाई ओर पवित्र पावन गंगा नदी बहती है।
उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध चारधाम यमुनोत्री, केदारनाथ और बढ़ीनाथ जैसे भारतीय संस्कृति का शाश्वत संदेश देने वाले अडिग ज्यलों की यात्रा यही से प्रारम्भ होती है।
2 ऋषिकेश : ऋषिकेश हरिद्वार से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और देहरादून जिले के अंतर्गत आता है| लेकिन यह हरिद्वार से ज्यादा पास पड़ता है ।
और चारधाम यात्रा के दौरान हरिद्वार से जिस मार्ग का प्रयोग किया जाता है उसमें ऋषिकेश भी आता है|
ऋषिकेश को गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है यह पूरी तरह से धार्मिक नगरी है और इसे योग का शहर भी कहा जाता है
ऋषिकेश में बहुत सारी आयुर्वेदिक संस्थाएं और योग आश्रम है जो शहर को महत्वपूर्ण बना देते हैं। एक बहुत ही शांतिपूर्ण नगरी है यहां स्थित राम झूला और लक्ष्मण झूला पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है
विदेशी पर्यटकों के लिए ऋषिकेश योग और राफ्टिंग के लिए आकर्षण का केंद्र है राफ्टिंग के लिए ऋषिकेश में हर वर्ष बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं|
3 देहरादून : देहरादून उत्तरी भारत के पश्चिमोत्तर उत्तराखंड राज्य में स्थित है। देहरादून 670 मीटर की ऊँचाई पर हिमालय की तराई में स्थित है। भौगोलिक रूप से देहरादून शिवालिक की पहाड़ियों और मध्य हिमालय की पहाड़ियों के बीच में स्थित है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून भारत का प्रसिद्ध पर्वतीय पर्यटक स्थल है।
देहरादून पूर्व में गंगा से लेकर पश्चिम में यमुना नदी तक फैला हुआ है। इस तरह की विस्तृत घाटियों को ही “दून” कहते हैं।
हिमालय की तराई और शिवालिक पर्वत श्रृंखला के बीच की घाटी को दून कहते हैं। इस घाटी में सौंग व आसन जैसी कई नदियाँ हैं।
4 लाखामंडल : यमनोत्री जाते समय बरकोट चकराता मार्ग बरकोट 17 कि.मी. की पर लाखामण्ड स्थित जब देहरादून मसूरी मार्ग यमुनोत्री यात्रा जाती तब लाखामण्डल नामक स्थान मिलता है।
कहा जाता महाभारत काल कौरवों ने यहाँ एक लाक्षागृह का निर्माण कराया था तथा उसमें पाण्डवों को जीवित जलाने का षड्यंत्र रचा था। प्राकृतिक सुन्दरता की दृष्टि भी लाखामण्डल देखने है।
5 नचिकेता ताल : उत्तरकाशी जाते समय लंबगांव जाने वाले मार्ग पर चौरंगीखाल नामक स्थान पड़ता है यह स्थान उत्तरकाशी से २९ किलोमीटर की दुरी पर है। इसके बाद नचिकेता पर जाने के लिए ३ किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पडती है।
इस तालाब का पानी एकदम स्वच्छ है। यहाँ चारो और बांस , बुरांश के घने पेड़ो का वन है।
6 नंदनवन और तपोवन, गंगोत्री से 6 किमी. की दूरी पर, गंगोत्री ग्लेशियर के विपरीत स्थित हैं। नंदनवन से शिवलिंग, भागीरथी, केदार डोम, थलय सागर और सुदर्शन जैसे चोटियों का शानदार व्यू देखने को मिलता है।
यह जगह कुछ चोटियों जैसे – सतोपंत, खर्चाकुंड, कालिंदी कल, मेरू और केदारडोम आदि पर ट्रैकिंग करने के अलावा कैम्प लगाने की सुविधा भी प्रदान करती है।
7 त्रियुगीनारायण : यह मंदिर रुद्रप्रयाग जिले के अंतर्गत केदारनाथ के मार्ग में पड़ता है यह मन्दिर भगवान् विष्णु को समर्पित है ऐसा माना जाता है इसी स्थान पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, मंदिर के पास ही सरस्वती गंगा नाम की एक धारा निकलती है जिससे इसके आसपास स्थित सरोवर जल मिलता रहता है |
8 औली : भारत का मिनी स्विट्जरलैंड “औली” हर समय एक अलग रंग में खूबसूरती बिखेरता हुआ नजर आता है। औली भारत के पसंदीदा हिमालयी स्थलों में से एक है।
औली उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित है।
इसकी ऊँचाई समुद्र तल से 3,000 मीटर है।यहाँ से कई पर्वत श्रृंखलाएँ दिखती हैं। इसके अलावा यहाँ कई प्रकार की एडवेंचर्स एक्टिविटीज़ भी होती हैं। इसे भारत के सबसे अच्छे स्कीइंग स्थलों में से एक माना जाता है।
9 सुरकंडा देवी मंदिर : यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है जो कि नौ देवी के रूपों में से एक है। यह मंदिर 51 शक्ति पीठ में से है। इस मंदिर में देवी काली की प्रतिमा स्थापित है।
10 कालीमठ : केदारनाथ यात्रा के दौरान इस मंदिर का भी दर्शन होता है, यह माँ कलि का मंदिर है और इसे शक्ति पीठ माना जाता है| इस मंदिर की चर्चा स्कन्द पुराण में की गई एसा माना जाता है की इसी मंदिर के समीप माँ कलि ने रक्त बीज का वध किया था|
11 चंद्रबदनी मंदिर : चन्द्रबदनी मंदिर देवी सती की शक्तिपीठों में से एक एवम् पवित्र धार्मिक स्थान है | चन्द्रबदनी मंदिर टिहरी मार्ग पर चन्द्रकूट पर्वत पर स्थित लगभग आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है |
यह मंदिर देवप्रयाग से 33 कि.मी. की दुरी पर स्थित है | आदि जगतगुरु शंकराचार्य ने यहां शक्तिपीठ की स्थापना की । धार्मिक ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि में चन्द्रबदनी उत्तराखंड की शक्तिपीठों में महत्वपूर्ण है ।
12 सोन प्रयाग : सोनप्रयाग गौरीकुंड से 4 किमी पहले पड़ता है यह वासुकी और मन्दाकिनी नदियों का संगम स्थल है| गौरीकुंड से केदारनाथ की दुरी 14 किमी है|
13 ऊखीमठ : ऊखीमठ को उषा, भगवान शिव, देवी पार्वती, अनिरुद्ध और मांधाता को समर्पित कई कलात्मक प्राचीन मंदिरों से युक्त है। ऊखीमठ में मुख्य रूप से रावल रहते हैं जो केदारनाथ के प्रमुख पुजारी (पंडित) हैं। उखीमठ से शानदार हिमालय श्रृंखला की बर्फ से ढकी चोटियाँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।
उखीमठ से एक स्पष्ट दिन में केदारनाथ शिखर, चौखम्बा और अन्य हरी सुंदर घाटी का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है। उखीमठ सीधी बस सेवा द्वारा रुद्रप्रयाग गौरीकुंड, गुप्तकाशी और श्रीनगर के साथ जुड़ा हुआ है।
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14 देवप्रयाग : देवप्रयाग शहर का भी अपना एक अलग और अनोखा इतिहास है। यह शहर पंडितों का स्थान है और ये पंडित बद्रीनाथ धाम से संबंधित होते हैं ।
देवप्रयाग में गंगोत्री से आने वाली भागीरथी नदी एवं बदरीनाथ धाम से आने वाली अलकनंदा नदी का संगम होता है और देवप्रयाग से यह नदी पवित्र गंगा के नाम से जानी जाती है|
15 माणा(माना) गाँव : यह गाँव बदरीनाथ से लगभग 3 किमी दूरी पर स्थित है यह भारत चीन के सीमा पर स्थित भारत का आखिरी गाँव है| इस गाँव के लिए कहा जाता है की यह शाप मुक्त है जो भी यहाँ आता है उसे अपने पापों से मुक्ति मिल जाती है|
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