रींगस के भैरूजी (Reengus ka Bheru ji) का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। यह मंदिर प्रसिद्ध खाटू श्याम जी (Khatu Shyam) मंदिर से करीब 17 किलोमीटर दूरी पर रींगस कस्बे में है।

सीकर के रींगस कस्बे में स्थित भैरू बाबा के मन्दिर का इतिहास है करीब 550 साल पुराना. ऐसा माना जाता है कि आकाशवाणी के बाद भैरू बाबा के मूर्ति की स्थापना रींगस में कर दी गई. वहीं कालाष्टमी के दिन मंदिर में विशेष अनुष्ठान किए होते है. वहीं समय-समय पर यहां मेला भी भरता है

हिन्दु संस्कृति के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा जी के 5वें मुख के द्वारा शिवजी की आलोचना की गई थी, जिसके बाद शिव जी ने पांचवे रूद्रवतार में भैरव बाबा के रूप में अवतार लेकर अपने नाखून से ब्रह्मा जी का पांचवा मुख धड़ से अलग कर दिया था. तभी से भैरू बाबा पर ब्रह्म हत्या का अभिशाप लग गया था. इससे मुक्ति प्राप्त करने के लिए भैरू जी ने तीनों लोकों की यात्रा की. ऐसा माना जाता है कि भैरू जी के तीनों लोकों की यात्रा पृथ्वी लोक पर रींगस से शुरू हुई थी.

पुजारी के पूर्वज मंडोर से चलते हुए रींगस पहुंचे. जहां पर तालाब किनारे रात में विश्राम के लिए रुके. वहां पर झोली से पत्थर की मूर्ति निकालकर पूजा की और खाना खाकर सो गए. सुबह जब जाने के समय लिए मूर्ति को वापस उठाने लगे तो, मूर्ति वहां से नहीं हिली और अचानक आकाशवाणी हुई. भविष्यवाणी में आवाज आई कि ‘जहां से मैंने ब्रह्म हत्या का प्रायश्चित करने के लिए पृथ्वी लोग की पदयात्रा शुरू की थी, आज वही स्थान आ गया हूं और मैं यही निवास करना चाहता हूं.’ इसके बाद पुजारी के पूर्वज गुर्जर प्रतिहार वहीं रुक गए और भैरव बाबा की पूजा अर्चना करने लग गए.

स के भैरूजी (Reengus ka Bheru ji)

राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित रींगस यह जयपुर से 65 किलो मीटर दूरी पर स्थित है रींगस में बाबा भेरुजी का विशालकाय मंदिर माना जाता है रींगस के भैरू जी महाराज को मसानिया भेरू जी के नाम से भी जाना जाता है राजस्थान लोक देवी देवता है इनमें से एक रींगस के भेरुजी महाराज भी है यह मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर माना जाता है मंदिर को लेकर जयपुर सीकर झुंझुनू चूरू बीकानेर जोधपुर अजमेर से बहुत श्रद्धालु आते हैं अब तो राजस्थान के बाहर भी भक्तों का मेला लगता है लेकिन धार्मिक आस्था और मान्यताएं कारण यहां जरूर आते हैं इनमें शादी के बाद मंदिर में पहली बार डॉग लगाने पर आते हैं और जात का जोड़ा की परंपरा शुरू से चलते हैं और बच्चों के जुड़े मुंडन यहां उतरते हैं फागण के माह में बाबा श्याम खाटू श्याम जी का मेला आयोजित होता है इस मंदिर में कई भक्त अपनी पदयात्रा रींगस से शुरू करते हैं

भैरो बाबा के बारे में हमेशा कहा जाता है कि उनका परिवार गुर्जर जाति का होने के कारण उनके पूर्वज गाय चराते थे उस समय पुजारी के पूर्वज मंडोर जिले के निवासी थे पत्थर की गोल मूर्ति को भैरव बाबा के रूप में अपनी झोली में रखते थे गायों को को चलाते समय वह तालाब के किनारे रुक जाते थे जहां भी वे रुकते थे वहां भेरू जी की मूर्ति निकाल कर पूजा-अर्चना शुरू कर देते थे और फिर वहां से रवाना होते हुए मूर्ति उठाकर अपनी झोली में रख लेते थे फिर आगे के लिए रवाना हो जाते थे

रींगस के भैरूजी का मन्दिर काफी प्राचीन है। कई स्थानीय लोक कलाकारों ने रींगस के भैंरूजी पर गीतों के ऑडियों-वीडियों अल्बम तैयार किए है। ग्रामीण इलाकों में भजन आदि कार्यक्रम में ये गीत और भजन बहुत लोकप्रिय है।पहले यहां भैरूजी का एक चबूतरा होता था, लेकिन अब यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है। मंदिर के आसपास छोटी—छोटी कई दुकानें जहां मंदिर में चढ़ाने के लिए प्रसाद, माला, नारीयल और अन्य पूजा सामग्री उपलब्ध रहती है। रविवार और नवरात्रों में यहां जागरण भी होते हैं। 

रींगस के भैरूजी कैसे पहुंचें (How To Reach)

सड़क मार्ग: रींगस कस्बा जयपुर-बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। ऐसे में यहां हर शहर से बस सेवा उपलब्ध है। मन्दिर यहां के बस स्टैंड से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रेल मार्ग: रींगस में रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन मन्दिर से दो किलोमीटर की दूरी पर है।
हवाई मार्ग: नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर है। यह करीब 70 किलोमीटर दूर है। यहां से टैक्सी अथवा बस से रींगस पहुंचा जा सकता है।

By JP Dhabhai

Hi, My name is JP Dhabhai and I live in Reengus, a small town in the Sikar district. I am a small construction business owner and I provide my construction services to many companies. I love traveling solo and with my friends. You can say it is my hobby and passion.

One thought on “रींगस के भैरूजी (Reengus ka Bheru ji) का मंदिर”
  1. I love ringus ka bhairav ji every cast religion come here to pray and want fulfill their wishes from bhairav ji Maharaj 🙏
    More facilities need like electricity, water, dhramshala, for travelers who came from various states by the trust authorities.

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