जीण माता राजस्थान के सीकर जिले में स्थित धार्मिक महत्त्व का एक गाँव है। यह सीकर से २९ किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यहाँ पर श्री जीण माता जी (शक्ति की देवी) का एक प्राचीन मन्दिर स्थित है। जीणमाता का यह पवित्र मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना माना जाता है। उसका पूर्ण और वास्तविक नाम जयंतलाल था। इसके निर्माण का वर्ष ज्ञात नहीं है, लेकिन सर्वमण्डपा और खंभे निश्चित रूप से बहुत पुरानी हैं।
जीण माता का मंदिर कहां है – Where is the temple of Jeen Mata?
जीण माता का मंदिर राजस्थान में जयपुर से 115 किलोमीटर दूर सीकर जिले में अरावली की पहाडियों में स्थित हैं.जीण माताजी मंदिर रेवसा गांव से 10 किमी पहाड़ी के पास स्थित है। यह घने जंगल से घिरा हुआ है।
जीण माता का इतिहास – History of Jeen Mata
जीण माता का जन्म घांघू गांव के एक चौहान वंश के राजा घंघ के घर में हुआ था। जीण का एक बड़ा भाई था हर्ष, दोनों भाई बहनों में बहुत प्रेम था। लोग जीण को देवी और हर्ष को शिव का रूप मानते थे। ऐसा कहा जाता है कि जीण एक दिन अपनी भाभी के साथ सरोवर से पानी भरने गई थी। वहीं पर जीण और उनकी भाभी में बहस हो गई की हर्ष सबसे ज्यादा किससे प्रेम करते है। उन्होंने शर्त रखी हर्ष जिसका मटका सबसे पहले सिर से उतार कर नीचे रखेंगे वो उसे ही सबसे ज्यादा प्रेम करते है। फिर दोनों लोग मटका लेकर हर्ष के सामने पहुंची, सबसे पहले हर्ष ने अपनी पत्नी का मटका नीचे उतारा और जीण शर्त हार गई। उसके बाद जीण नाराज होकर अरावली पर्वत के शिखर पर भगवती की तपस्या करने में लग गई और हर्ष उसे मनाने गया तो जीण तपस्या में लीन थी। उसके बाद हर्ष भी भैरव भगवान की तपस्या करने लगा और फिर दोनों जीणमाता धाम और हर्षनाथ भैरव के रूप में प्रसिद्ध हो गए
जीण माता ने दिखाया चमत्कार
लाेक मान्यता के अनुसार, मुगल सम्राट औरंगजेब ने जीण माता आैर भैराे जी के मंदिर काे तोड़ना चाहता था। लेकिन उसके मंसूबे पूरे नहीं हाे सके। आैरंगजेब ने मंदिर को तोड़ने के लिए अपने सैनिकों को भेजा। इस बात का पता चलने पर स्थानीय लाेग जीणमाता से प्रार्थना करने लगे। इसके बाद जीणमाता ने अपना चमत्कार दिखाया। मधुमक्खियों के एक झुंड ने मुगल सेना पर टूट पड़ा। मधुमक्खियों के काटने से सेना भाग गई। कहा जाता है कि खुद आैरंगजेब की हालत बहुत गंभीर हो गई तब बादशाह ने अपनी गलती मानकर माता को अखंड ज्योज जलाने का वचन दिया। इसके बाद औरंगजेब की सेहत में सुधार होने लगा।.
जीणमाता किसकी कुलदेवी है whose kuldevi is jeenmata
जीण माता माँ जगदम्बा तथा माँ जयंती का ही रूप हैं. जीण माता शेखावटी के यादव, राजपूत, पंडित, जांगिड, अग्रवाल, मीणा आदि जाति के लोगो की कुलदेवी हैं
जीण माता का मेला Jeen Mata mela hindi –
जीण माता का मेला चैत्र और आश्विन माह के नवरात्रों में लगता है और साथ ही हर्ष पर्वत पर चतुदर्शी के दिन हर्ष भैंरू का मेला भी लगता है ! माता जीण के मुख्य मंदिर के पीछे एक तहखाने में भामरियामाता ,भ्रमरमाता/भंवरमाता की मूर्ति है ! जिसके सामने किसी वीर का पीतल का धड़ पड़ा हुआ है ! ऐसा कहा जाता है कि यह धड़ पराक्रमी जगदेव पंवार का है जिसने भामरियामाता के सामने अपनी बलि दे दी थी !जीणमाता की इस मान्यता से प्रभावित होकर मेड़तिया के शासक सालिम सिंह के बेटे महाराजा महेश दान सिंह ने ! नागौर जिले के पुराने कस्बे मारोठ के पश्चिम दिशा में स्थित पर्वत की गुफा के अंदर जीणमाता का एक छोटा मंदिर बनवाया ! छोटा है लेकिन बहुत ही मनमोहक है और जो इस मंदिर को देकता है ! तो वह देखता ही रह जाय ऐसा भव्य मंदिर बनवाया था !
- नाम – जीणमाता Jeen Mata ji
- मंदिर – रेवासा गाँव
- जिला – सीकर ( राजस्थान ) भारत
- मंदिर फोन नंबर – 01576-227346
- पिन कोड – 332403