भारत के  राजस्थान राज्य के सीकर जिले में 65किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक पवित्र एवं प्राचीन पूजा स्थल खाटू श्याम जी मंदिर है। जो कलयुग में भगवान श्रीकृष्ण के अवतार खाटू श्याम बाबा के नाम से विख्यात है।

भगवान श्रीकृष्ण ने वरदान दिया था कि खाटू श्याम जी कलयुग में श्याम के नाम से जाने जाएंगे ।

भारत के विभिन्न स्थानों से भक्तगण प्रभु के आशीर्वाद और अपने आत्मसुख और शांति के लिए यहां आते हैं। खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास महाभारत महाकाव्य से जुड़ा हुआ है। खाटू श्याम बाबा का मंदिर कई स्थानों जैसे दिल्ली बैंगलोर कर्नाटक आगरा मैं भी है।

लोगों का मानना है कि श्याम बाबा से जो भी मांगो वह लाखों करोड़ों बार देते हैं। यही वजह है कि श्याम बाबा लखदातार के नाम से भी जाने जाते हैं। इसके साथ श्याम बाबा को हारे का सहारा भी कहा जाता है ।

खाटू श्याम जी मंदिर की स्थापत्य कला : Architecture of Khatu Shyam Ji Temple:

यह मंदिर पारंपरिक राजस्थानी और मुगल स्थापत्य शैली में बनाया गया है। मंदिर में बलुआ पत्थर और संगमरमर का प्रयोग किया गया है।

खाटू श्याम जी मंदिर की भव्य संरचना हजारों भक्तों को यहां आने के लिए आकर्षित करती है।

1991 में मंदिर के बुनियादी परिवर्तनों के साथ नवीन परिवर्तन भी किए गए, जिसमें  यात्रियों के लिए धर्मशालाएं,भोजनालय और पार्किंग की व्यवस्था की गई।

मंदिर की दीवारों पर पौराणिक चित्रों को बड़ी सुंदरता से बनाया गया है। मंदिर में प्रवेश और निकास द्वार पर चित्र बने हुए हैं। जो राजस्थान की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दर्शाता है।

मंदिर के समीप एक सुंदर बाग है, जिसे श्याम बगीची भी कहा जाता है। इस बाग से खाटू श्याम जी बाबा को अर्पण करने के लिए पुष्प चुने जाते हैं।

खाटू श्याम जी मंदिर किसने बनवाया: Who built Khatu Shyamji temple?

 खाटू श्याम जी मंदिर 1000 साल पुराना है । इस मंदिर को खाटू गांव के राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंबर द्वारा 1027 ईस्वी में स्थापित किया था। उस समय मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन था । उसके आदेश पर मंदिर को तोड़ा गया । औरंगजेब की मृत्यु के बाद 1720 ईस्वी में अभयसिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था।

खाटू श्याम जी बाबा बनने की बर्बरीक की कथा :

बाबा श्याम की कहानी महाभारत से शुरू होती है। खाटू श्याम जी का नाम बर्बरीक था। बर्बरीक की माता का नाम नागकन्या मोरबी था। बर्बरीक भीम के पौत्र और घटोत्कच के तीनों पुत्रों में से जेष्ठ थे।

बचपन से उनमे योद्धा बनने के सभी गुण थे। उन्होंने युद्ध  की कला अपनी मां और श्रीकृष्ण से सीखी थी।

 बर्बरीक भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। उसने भगवान शिव की घोर तपस्या की । उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने उसे तीन बाण प्रदान किये थे।

जो तीनों लोको में विजई होने के लिए काफी थे।

जब उन्हें पता चला कौरवों और पांडवों की भी युद्ध होने वाला है, तब उन्होंने अपनी माता का आशीर्वाद लेते हुए उन्हें वचन दिया, कि जो युद्ध में हार रहा होगा मैं उसकी तरफ से युद्ध करूँगा।

 भगवान श्रीकृष्ण ये जानते थे, कि बर्बरीक के तीनों तीर से ब्रह्मांड का भी विनाश हो सकता है। यदि युद्ध में कौरवों का साथ बर्बरीक ने दिया तो परिणाम सही नहीं होगा,

इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक को चुनौती दी। तुम पीपल के इन सभी पत्तों को वेधकर बताओ । बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार की। श्री कृष्ण की परीक्षा लेने के लिए एक पत्ते को अपने पैरों के नीचे दबा लिया । बर्बरीक ने एक बार में सभी पत्तो पर निशाना साधा और श्रीकृष्ण के पैरों के पास चक्कर लगाने लगे । बर्बरीक ने श्री कृष्ण से कहा :- एक पत्ता आपके पैर के नीचे दबा है। अपना पैर हटा लीजिए । वरना आपको चोट लग जाएगी ।

श्री कृष्ण को ज्ञात था कि हार तो कौरवों के होनी है। इसीलिए उन्होंने बर्बरीक को रोकने के लिए उससे दान की याचना की ।उन्होंने बर्बरीक से उसका कटा हुआ सिर मांगा ।

बर्बरीक ने कहा मैं दान जरूर दूंगा । लेकिन मेरी आखिरी इच्छा है, कि मैं महाभारत के युद्ध को अंत तक देखना चाहता हूं। इसीलिए उन्होंने बर्बरीक के सिर को युद्ध वाली जगह से एक पहाड़ी के ऊपर रख दिया । जहां से उसने पूरे युद्ध को अंत तक देखा । श्री कृष्ण बर्बरीक के इस बलिदान से प्रसन्न होकर, उसे कलयुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वचन दिया।

खाटू श्याम बाबा की कहानी : Story of Khatu Shyam Baba:

घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने श्रीकृष्ण के कहने पर अपना सिर दान में काट कर दे दिया था। ये कथा महाभारत युद्ध के समय की है।

एक बार गांव में गाय एक स्थान पर अपने स्तनों से दूध बहा रही थी। तब लोगों को यह देखकर आश्चर्य हुआ । तब लोगों ने उस स्थान की खुदाई की । तब उन्हें बर्बरीक का कटा हुआ सिर मिला। जो कलयुग में श्याम बाबा के नाम से जाने जाते है। उस सिर को लोगों ने ब्राह्मण को सौंप दिया और वह उसकी रोज पूजा करने लगा। एक दिन खाटू नगर के राजा रूपसिंह ने स्वप्न में बर्बरीक के सिर को मंदिर में स्थापित कर मंदिर निर्माण करना देखा। उन्होंने कार्तिक महीने में एकादशी के दिन बर्बरीक का शीश मंदिर में सुशोभित कर दिया । इसलिए वो आज खाटू श्याम जी के नाम से विश्व प्रख्यात है।

खाटू श्याम जी मंदिर के पास कुंड :

मंदिर के समीप एक पवित्र कुंड है। जिसे श्याम कुंड कहा जाता है। ऐसी पौराणिक मान्यता है, कि यहीं से खाटू बाबा का सिर निकाला गया था।

भक्तों के लिए यह धारणा बहुत लोकप्रिय है। भक्तगण भक्ति भाव के साथ इस तालाब में डुबकी लगाते हैं, और हर साल फाल्गुन मेला महोत्सव में इस कुंड में स्नान करने आते हैं। जो विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। फाल्गुन मेला फरवरी-मार्च में 5 दिनों के लिए लगाया जाता है। जिसमें भक्त बाबा श्याम के साथ होली का त्यौहार मनाते हैं। जिसे देखने के लिए देश-विदेश से बाबा के भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

खाटू श्याम जी मंदिर का समय: Khatu Shyam Ji Temple Timings:

मंदिर सुबह जल्दी खोल दिया जाता है । इसके साथ ही जिला प्रशासन ने भक्तों की सुविधा को देखते हुए बाबा श्याम के दर्शन का समय 24 घंटे कर दिया है। भक्तगण अपने समय अनुसार मंदिर में जाकर सरलतापूर्वक दर्शन कर सकते हैं। 75 फीट मेला ग्राउंड से होते हुए दर्शन की व्यवस्था थी। अब पंक्तियों की संख्या कम कर दी गई है। शुरुआत की चार पंक्ति से होकर आप सरलता से और जल्दी दर्शन करके बाहर निकल सकते हैं।

खाटू श्याम जी मंदिर में आरती: Aarti at Khatu Shyam Ji Temple:

खाटू श्याम जी मंदिर में प्रतिदिन पांच आरतियां की जाती है। यदि आप मंदिर जाने की योजना बनाते हैं, तो आरती के समय वहां शामिल होकर भक्तिमय माहौल और अतुलनीय मंत्रोच्चारण को सुनकर आनंद का अनुभव करेंगे ।

  • मंगला आरती :- जो प्रातः काल की जाती है। जब मंदिर भक्तों के लिए प्रातः खुलता है।
  •  श्रृंगार आरती :- बाबा का सिंगार किया जाता है, तब इस आरती को गाया जाता है।
  •  भोग आरती :- जब भगवान का भोग परोसा जाता है, तब इस आरती को गाया जाता है।
  •  संध्या आरती :- शाम के समय सूर्यास्त होने पर की जाती है।
  •  सयाना आरती :- यह आरती मंदिर बंद होने से पहले की जाती है। इसके अतिरिक्त 2 विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है -श्री श्याम आरती और श्री श्याम बिनती ।

खाटू श्याम जी मंदिर कैसे जाएं : How to reach Khatu Shyam Ji Temple:

खाटू श्याम जी मंदिर जयपुर से 80 किलोमीटर दूर खाटू गांव में स्थित है।

रेल द्वारा

खाटू श्याम जी मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन रींगस रेलवे स्टेशन है। जो मंदिर से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप वहां आकर मंदिर के लिए टैक्सी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सीकर जंक्शन जो डेढ़ किलोमीटर मंदिर से दूर है।

हवाई द्वारा

 अगर आप फ्लाइट से मंदिर की ओर आते हैं, तो नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। जो खाटू श्याम जी मंदिर से 95 किलोमीटर दूर है। आप वहां आकर टैक्सी द्वारा मंदिर पहुँच सकते है।

सड़क मार्ग द्वारा

दिल्ली से बाय रोड खाटू श्याम जी मंदिर आते हैं, तो आपको यहां पहुंचने में 5 घंटे लगेंगे । जो 310 किलोमीटर लगभग है।

खाटू श्याम जी मंदिर के आसपास घूमने के स्थान : Places To Visit Around Khatu Shyam Ji Temple:

  • श्याम कुंड
  • श्री श्याम वाटिका
  • बालाजी महाराज सालासर
  • हनुमान मंदिर
  •  लक्ष्मणगढ़ गढ़ किला
  • जीण माता मंदिर
  • गोल्डन वाटर पार्क
  • गणेश्वर धाम
  • खंडेला मंदिर
  • हर्षनाथ मंदिर

खाटू श्याम जी मंदिर हिंदू धर्म का पवित्र स्थान माना जाता है। यह मंदिर श्याम बाबा की आत्मसमर्पण, भक्ति ,दान की महत्ता को दर्शाता है।

ऐसा कहा जाता है जिसका कोई नहीं उसके श्याम बाबा है। वह दुखहर्ता है आस्था के केंद्र है।

By JP Dhabhai

Hi, My name is JP Dhabhai and I live in Reengus, a small town in the Sikar district. I am a small construction business owner and I provide my construction services to many companies. I love traveling solo and with my friends. You can say it is my hobby and passion.

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