राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के सिरमौर गांव में स्थित चारभुजा नाथ जी का मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहाँ हर साल चैत्र और आषाढ़ महीने में चारभुजा नाथ जी का मेला लगता है। यह मेला राजस्थान के सबसे बड़े और प्रसिद्ध मेलों में से एक है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु और पर्यटक भाग लेते हैं।

कैसे पहुँचें

चारभुजा नाथ जी का मंदिर मेवाड़ के सिरमौर गांव में स्थित है। यह सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग से: उदयपुर से चारभुजा नाथ जी के मंदिर के लिए नियमित बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं। उदयपुर से चारभुजा नाथ जी का मंदिर लगभग 120 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग से: चारभुजा नाथ जी के मंदिर के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन उदयपुर है। उदयपुर से चारभुजा नाथ जी के मंदिर के लिए बस या टैक्सी से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
हवाई मार्ग से: चारभुजा नाथ जी के मंदिर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा उदयपुर है। उदयपुर से चारभुजा नाथ जी के मंदिर के लिए बस या टैक्सी से आसानी से पहुँचा जा सकता है।


मेले का मुख्य आकर्षण

चारभुजा नाथ जी का मेला अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस मेले में चारभुजा नाथ जी के मंदिर के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं। मेले में कई तरह के धार्मिक आयोजन और कार्यक्रम होते हैं, जिनमें भजन-कीर्तन, प्रवचन, संगीत कार्यक्रम और कवि सम्मेलन शामिल हैं। मेले में विभिन्न प्रकार की दुकानें और स्टाल भी लगाए जाते हैं, जिन पर स्थानीय हस्तशिल्प और खाद्य पदार्थों की बिक्री होती है।

मेले की इतिहास

चारभुजा नाथ जी का मेला राजस्थान के सबसे पुराने मेलों में से एक है। इस मेले की शुरुआत कब हुई, इस बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह मेला सैकड़ों सालों से आयोजित किया जा रहा है। मेले का नाम चारभुजा नाथ जी के नाम पर रखा गया है, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं। चारभुजा नाथ जी को भगवान विष्णु के चार भुजाओं का प्रतीक माना जाता है।

चारभुजा नाथ जी

चारभुजा नाथ जी, भगवान कृष्ण का एक रूप है, जो राजस्थान के राजसमंद जिले में गढ़बोर गाँव में स्थित एक मंदिर में विराजमान हैं। यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
चारभुजा नाथ जी की मूर्ति लगभग 5285 वर्ष पुरानी है। यह मूर्ति भगवान कृष्ण के चतुर्भुजी रूप को दर्शाती है। मूर्ति के चारों हाथों में शंख, चक्र, गदा और धनुष है। मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है और इसकी ऊंचाई लगभग 3 फीट है।चारभुजा नाथ जी का मंदिर एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व का मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था। पांडवों ने इस मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति को स्थापित किया था।चारभुजा नाथ जी के मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मंदिर में दर्शन करने के लिए हर साल एक बड़ा मेला लगता है। यह मेला चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को लगता है।
चारभुजा नाथ जी को कुमावत वंश का कुलदेवता माना जाता है। कुमावत वंश के लोग चारभुजा नाथ जी की बहुत श्रद्धा करते हैं। चारभुजा नाथ जी का मंदिर राजस्थान के एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह मंदिर अपने चमत्कारों और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।


विश्राम की व्यवस्थाएं

चारभुजा नाथ जी के मंदिर के पास कई होटल, धर्मशालाएँ और विश्राम गृह हैं। मेले के दौरान श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए पर्याप्त आवास की व्यवस्था की जाती है।

मेले के दौरान होने वाले कुछ प्रमुख धार्मिक आयोजन और कार्यक्रम

भजन-कीर्तन: मेले के दौरान हर दिन भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। भजन-कीर्तन में स्थानीय और बाहरी कलाकार भाग लेते हैं।
प्रवचन: मेले के दौरान हर दिन प्रवचन का आयोजन किया जाता है। प्रवचन में संत-महात्माओं द्वारा धर्म और आध्यात्मिकता के विषयों पर प्रकाश डाला जाता है।
संगीत कार्यक्रम: मेले के दौरान कई तरह के संगीत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में लोक संगीत, शास्त्रीय संगीत और भक्ति संगीत का समावेश होता है।
कवि सम्मेलन: मेले के दौरान कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। कवि सम्मेलन में स्थानीय और बाहरी कवि भाग लेते हैं।


निष्कर्ष

चारभुजा नाथ जी का मेला राजस्थान के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मेला लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

अतिरिक्त जानकारी


चारभुजा नाथ जी का मंदिर 12वीं शताब्दी में बना था।
चारभुजा नाथ जी का मंदिर मेवाड़ का सबसे प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था।
चारभुजा नाथ जी को भगवान कृष्ण का रूप माना जाता है। इनकी प्रतिमा काले रंग की है और इनके चार हाथ हैं।
चारभुजा नाथ जी को आरोग्य और धन-संपदा के देवता के रूप में भी पूजा जाता है।
चारभुजा नाथ जी के मंदिर के पास ही एक झील भी है, जिसे चारभुजा झील कहा जाता है। इस झील में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है

By JP Dhabhai

Hi, My name is JP Dhabhai and I live in Reengus, a small town in the Sikar district. I am a small construction business owner and I provide my construction services to many companies. I love traveling solo and with my friends. You can say it is my hobby and passion.

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