Contents
- 1 खाटू श्याम जी मंदिर किसने बनवाया:
- 2 खाटू श्याम बाबा की कहानी :
- 3 खाटू श्याम फाल्गुन मेला क्यों लगता है
- 4 खाटू श्याम फाल्गुन मेला:
- 5 खाटू श्याम फाल्गुन मेला 2023 की व्यवस्थाएं
- 6 खाटू श्याम बाबा का जन्मदिवस
- 7 खाटू श्याम जी मेले के अनुष्ठान और समारोह
- 8 खाटू श्याम जी मंदिर का समय:
- 9 खाटू श्याम जी मंदिर कैसे जाएं :
राजस्थान राज्य के सीकर जिले में खाटू श्याम का भव्य प्रसिद्ध मंदिर विराजमान है। इस मंदिर की यह विशेष बात है, कि यहां की देवता की केवल सर की पूजा की जाती है। इस मूर्ति का धड़ नहीं है। धड़विहीन मूर्ति बाबा श्याम की है। जिनकी कहानी महाभारत और स्कंद पुराणों में देखने को मिलती है। बर्बरीक जिन्हें शीश के दानी के नाम से जाना जाता है, उनके बलिदान से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक को खाटू श्याम बाबा के नाम से कलयुग में पूजे जाने का वरदान दिया था। उन्हीं के इस दिवस को मनाने के लिए खाटू श्याम फाल्गुन मेला आयोजन किया जाता है।
khatu shyam mela 2024
बाबा श्याम के दर्शन हेतु प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। यहां ऐसी मान्यता है की भक्ति की हर मनोकामना बाबा श्याम पूरी करते हैं।
लोगों का मानना है कि श्याम बाबा से जो भी मांगो वह लाखों करोड़ों बार देते हैं। यही वजह है कि श्याम बाबा लखदातार के नाम से भी जाने जाते हैं। इसके साथ श्याम बाबा को हारे का सहारा भी कहा जाता है ।
खाटू श्याम जी मंदिर किसने बनवाया:
खाटू श्याम जी मंदिर 1000 साल पुराना है । इस मंदिर को खाटू गांव के राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंबर द्वारा 1027 ईस्वी में स्थापित किया था। उस समय मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन था । उसके आदेश पर मंदिर को तोड़ा गया । औरंगजेब की मृत्यु के बाद 1720 ईस्वी में अभयसिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था।
खाटू श्याम बाबा की कहानी :
घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने श्रीकृष्ण के कहने पर अपना सिर दान में काट कर दे दिया था। ये कथा महाभारत युद्ध के समय की है।
एक बार गांव में गाय एक स्थान पर अपने स्तनों से दूध बहा रही थी। तब लोगों को यह देखकर आश्चर्य हुआ । तब लोगों ने उस स्थान की खुदाई की । तब उन्हें बर्बरीक का कटा हुआ सिर मिला। जो कलयुग में श्याम बाबा के नाम से जाने जाते है। उस सिर को लोगों ने ब्राह्मण को सौंप दिया और वह उसकी रोज पूजा करने लगा। एक दिन खाटू नगर के राजा रूपसिंह ने स्वप्न में बर्बरीक के सिर को मंदिर में स्थापित कर मंदिर निर्माण करना देखा। उन्होंने कार्तिक महीने में एकादशी के दिन बर्बरीक का शीश मंदिर में सुशोभित कर दिया । इसलिए वो आज खाटू श्याम जी के नाम से विश्व प्रख्यात है।
खाटू श्याम फाल्गुन मेला क्यों लगता है
फाल्गुन मेले का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। ऐसी कथा है कि फाल्गुन मास की द्वादशी तिथि को भगवान श्री कृष्ण के मांगने पर बर्बरीक ने अपना शीश काटकर उनके चरणों में रख दिया था। बर्बरीक जिन्हें पूर्व जन्म में ब्रह्मा जी का श्राप मिला था और श्राप के कारण उन्हें अपना शीश दान में देना पड़ा। श्राप के भगवान श्री कृष्ण ने उनके श्राप को वरदान में बदल दिया, इसलिए कलयुग में हारे का सहारा बाबा श्याम पूजित हो गए ।
बर्बरीक द्वारा फाल्गुन मास की द्वादशी तिथि को शीश दान किए जाने के कारण फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को फाल्गुन मेला या लक्खी मेला मनाया जाता है। बाबा श्याम को इस मेले में गुलाब भेंट किए जाते हैं। यह मेल होली के करीब लगता है।
खाटू श्याम फाल्गुन मेला:
- फाल्गुन मास की शुक्ल ग्यारस एकादशी को बाबा श्याम के दिन को बड़े हर्ष से यहां मनाया जाता है। इसी उत्सव के चलते यहां फाल्गुन मेला लगता है जिसे लक्खी मेला के नाम से भी जाना जाता है।
- यह मेला 10 दिन तक चलता है, और इस मेले में न सिर्फ राजस्थान बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग आते हैं।
- दर्शन के उपरांत भक्तजन यहां भजन कीर्तन का भी आनंद लेते हैं। भजन संध्या के लिए तरह-तरह के कलाकार आते हैं। रात भर भजन, कीर्तन होता है।
- भक्तों की लाखों की संख्या को देखते हुए यहां प्रशासन की तरफ से उचित व्यवस्था की जाती है। जिससे किसी भी प्रकार की भक्तजनों को अव्यवस्था ना हो ।
- इसके अतिरिक्त खाटू श्याम जी की खाटू नगरी में विभिन्न धर्मशालाएं पार्किंग होटल की भी व्यवस्था है। जैसे राधेश्याम होटल , मोरबी होटल ,लखदातार इत्यादि।
- 2024 में बाबा श्याम के मेले की तारीख बाबा श्याम मंदिर कमेटी के द्वारा 12 मार्च से 21 मार्च तक निर्धारित की गई है।
- यह 12 मार्च तृतीया से शुरू होकर 21 मार्च द्वादशी तक चलेगा।
- 20 मार्च को मेले का मुख्य दिन निर्धारित किया गया है।
- श्री श्याम मंदिर कमेटी के द्वारा भक्तों को बाबा के दर्शन मंदिर परिसर में सरलता से हो, इसीलिए लाइनों की संख्या बढ़कर 14 कर दी गई है।
- खाटू श्याम बाबा का श्रृंगार पुजारी जितेंद्र सिंह चौहान और श्याम सिंह चौहान करेंगे । मंदिर को बड़े आकर्षक तरीके से फूलों से सजाया जाएगा।
- जिसमें गुलाब के फूल ,चमेली के फूल ,गेंदे के फूलो का प्रयोग किया जाएगा।
खाटू श्याम फाल्गुन मेला 2023 की व्यवस्थाएं
- 2023 में खाटू श्याम जी में 3 साल बाद मेले का आयोजन किया गया था इसीलिए कई बातों का ध्यान में रखकर मेले का आयोजन हुआ ।
- मुख्य मेला मैदान 75 फुट के 14 लाइनों से गुजरते हुए बाबा के दरबार में भक्तों के पहुंचने की व्यवस्था की गई थी।
- मंदिर के अंदर की लाइनों की कतार 16 कर दी गई थी।
- हर भक्त को दर्शन करने के लिए 4 मिनट का समय निर्धारित किया गया था।
- बाबा श्याम के प्रवेश द्वार 1.75 फिट का निर्धारण किया गया था।
- मेला परिसर में ई-रिक्शा और पार्किंग की व्यवस्था की गई थी।
- रिंगस खाटू पदयात्रा मार्ग को 5 मीटर चौड़ा किया गया था। जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की सुविधा न हो।
खाटू श्याम बाबा का जन्मदिवस
बाबा खाटू श्याम का जन्म हर साल कार्तिक महीने की एकादशी के दिन मनाया जाता है। यह हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को उनके जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल 12 नवंबर 2024 को बाबा का जन्मोत्सव है।
खाटू श्याम जी मेले के अनुष्ठान और समारोह
खाटू श्याम जी में भक्तगण खाटू बाबा के दर्शन करने तो आते ही हैं। इसके अतिरिक्त यहां कई पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों को भी किया जाता है। तीर्थ स्थान होने के अलावा यहां लोग बड़ी संख्या में जदूला समारोह नामक एक समारोह में बच्चों के बाल काटने की परंपरा को यहां लोग निभाने आते हैं।
लोग बड़े उत्साह और उमंग के साथ मेले में भाग लेते हैं। सुंदर रूप से सजी हुई दुकान, झूले तमाशा ,नाटक, बच्चों के लिए सजाई जाती है। यह सब चीज खाटू श्याम जी मेले का हिस्सा है।
खाटू श्याम जी मंदिर का समय:
मंदिर सुबह जल्दी खोल दिया जाता है । इसके साथ ही जिला प्रशासन ने भक्तों की सुविधा को देखते हुए बाबा श्याम के दर्शन का समय 24 घंटे कर दिया है। भक्तगण अपने समय अनुसार मंदिर में जाकर सरलतापूर्वक दर्शन कर सकते हैं। 75 फीट मेला ग्राउंड से होते हुए दर्शन की व्यवस्था थी। अब पंक्तियों की संख्या कम कर दी गई है। शुरुआत की चार पंक्ति से होकर आप सरलता से और जल्दी दर्शन करके बाहर निकल सकते हैं।
खाटू श्याम जी मंदिर कैसे जाएं :
खाटू श्याम जी मंदिर जयपुर से 80 किलोमीटर दूर खाटू गांव में स्थित है।
रेल द्वारा
खाटू श्याम जी मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन रींगस रेलवे स्टेशन है। जो मंदिर से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप वहां आकर मंदिर के लिए टैक्सी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सीकर जंक्शन जो डेढ़ किलोमीटर मंदिर से दूर है।
हवाई द्वारा
अगर आप फ्लाइट से मंदिर की ओर आते हैं, तो नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। जो खाटू श्याम जी मंदिर से 95 किलोमीटर दूर है। आप वहां आकर टैक्सी द्वारा मंदिर पहुँच सकते है।
सड़क मार्ग द्वारा
दिल्ली से बाय रोड खाटू श्याम जी मंदिर आते हैं, तो आपको यहां पहुंचने में 5 घंटे लगेंगे । जो 310 किलोमीटर लगभग है।
खाटू श्याम जी मंदिर हिंदू धर्म का पवित्र स्थान माना जाता है। यह मंदिर श्याम बाबा की आत्मसमर्पण, भक्ति ,दान की महत्ता को दर्शाता है।
ऐसा कहा जाता है जिसका कोई नहीं उसके श्याम बाबा है। वह दुखहर्ता है आस्था के केंद्र है।