धनावता गांव की एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ एक मंदिर जहां पर महायज्ञ, भागवत कथा और कलश यात्राओं के माध्यम से भक्तगणौ से गौवंश की रक्षा और संरक्षण का वचन लिया जाता हैं
पश्चिमी भारत का प्राचीन और मानवता के प्रति समर्पित एक ऐतिहासिक स्थल है, इशरा दास जी मंदिर, धनावता, उदयपुरवाटी। यहां के पावन मंदिर क्षेत्र में आध्यात्मिकता और सेवा की गहरी भावना का संग्रहण हो रहा है, जो इसे भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है।
एक आलौकिक अनुभव:
धनावता, उदयपुरवाटी क्षेत्र के मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित इशरा दास जी मंदिर एक ऐसा स्थल है जहां का आलौकिक और आध्यात्मिक वातावरण आपके मनोबल को चुनौती देता है। यहां का वातावरण विचारशीलता, मानवता, और सद्गुणों का प्रतीक है, और आपको आत्मा के विकास के लिए प्रोत्साहित करता है।
इशरा दास जी महाराज का मंदिर धनावता गांव के ऊपर एक छोटी पहाड़ी के ऊपर बना हुआ हैं और पहाड़ों से घिरा हुआ हैं जो की प्राकृतिक सौंदर्य की अनुभूति करवाता है
प्रिय भक्तजनों आपको यह जानकर बड़ी खुशी होगी की 7 सितम्बर 2023 से श्रीमद् भागवत कथा का सुभारम्भ होने जा रहा है, यह भागवत कथा श्री देवनारायण मंदिर के जीर्णोद्धार के निमित की जा रही है! अत: आप सब से अनुरोध है की सभी अपनी-अपनी यथा शक्ति आर्थिक सहयोग जरूर करे, भगवान भगतजी महाराज को माध्यम बनाकर हमारे जीवन का कल्याण कर रहे है, अत: आप सभी भक्तजी महाराज ने जो जन कल्याण का संकल्प लिया है उसमे ज्यादा से ज्यादा तन, मन और धन से सहयोग करके उस संकल्प को पूरा करने में सहयोग करे!
मंदिर की महत्वपूर्ण विशेषताएँ:
- कबूतर खाना: मंदिर के पास स्थित यह अद्वितीय कबूतर खाना एक सौंदर्य से भरपूर स्थल है, जो अपने उड़ते कबूतरों के झुंड के लिए जाना जाता है। यहां पर रोज़ाना 8 से 10 क्विंटल अनाज डाला जाता है, और इन उड़ते कबूतरों के पंखों की आवाज हृदय को छू लेती है। यह स्थल वायुमंडल में उड़ते हुए कबूतरों की आवाज के लिए अद्वितीय है, और आपको शांति और सौंदर्य का अनुभव कराता है।
- गौशालाएं: मंदिर के पास विशाल गौशालाएं स्थित हैं, जो गौ-सेवा के लिए समर्पित हैं। कोट, सकराय, भगोवा, लोहागढ़, गोडकी ढाणी , श्यामगढ़, कालाखेत, गरोठ, हात्याज, गुढ़ा, सुखपुरा, सेवली और अन्य गाँव जहां पर 150 से अधिक बड़ी गौशालाऔ मे जिनमें लगभग 3000 खुले गौवंश को पाला जाता है इन सभी गौशालाओं में चारा और पानी की व्यवस्था भगत जी महाराज और गांववासियों की ओर से ही जाती हैं
- महाशिवरात्रि का महत्व: मंदिर में महाशिवरात्रि का खास महत्व है, जिसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस धार्मिक त्योहार के मौके पर, भक्तगण प्रार्थना करने, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का दर्शन करने के लिए मंदिर आते हैं, जो त्योहार के आत्मा में और भी जादू डालते हैं।
मंदिर के सामाजिक कार्य:
इशरा दास जी मंदिर का संघटक भारतीय समाज के विकास और सुधार कार्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। यहां के प्रभावकारी सेवक और साधक न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं में भी सुधार करने के लिए काम कर रहे हैं।
- बाल विवाह के खिलाफ: मंदिर के प्रशंसक और सेवक बाल विवाह के खिलाफ सशक्त प्रयास कर रहे हैं और समाज को इस सामाजिक बुराई से बचाने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
- सामूहिक विवाह: एक और महत्वपूर्ण पहलू है सामूहिक विवाह का आयोजन करना, जिसका उद्देश्य शादियों में होने वाले अनावश्यक खर्चों को कम करना है। यह समाज के लोगों के लिए एक विकल्प प्रदान करता है जो सामूहिक रूप से अपने जीवन संगठित करना चाहते हैं।
- सामाजिक कार्य: मंदिर का समुदाय सुधार के प्रति समर्पित है और यहां के प्रशंसक और सेवक समाज के विभिन्न मुद्दों पर काम कर रहे हैं, जैसे कि नशामुक्ति, बालिका शिक्षा, दहेज मुक्त समाज, और गौ रक्षा और गौ सेवा को बढ़ावा देने के लिए।
- समाज सेवा: मंदिर में यज्ञ समाप्ति पर ब्रामणों की दक्षिणा और सेवा की जाती है, जिससे समाज के विकास के लिए आवश्यक आवश्यक संसाधन जुटाए जा सकते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण आयोजन:
- महाशिवरात्रि पर 1008 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन: इस धार्मिक आयोजन के दौरान, बड़ी संख्या में भक्तगण एक ही स्थल पर आकर महायज्ञ का आयोजन करते हैं, जो आध्यात्मिक माहौल में होता है।महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में आस पास के गांवों से जुड़े हुए भक्तों और महिलाओं की ओर से 1100 कलस के अद्वितीय कलस यात्रा निकाली जाती हैं जिसके साथ इशरादास जी की मूर्ति के साथ सावंत जी भगत जी की शोभा यात्रा निकाली जाती हैं आस पास के गांवों इस कलस यात्रा और शोभा यात्रा के प्रति बहुत ही उत्साह देखने को मिलता है आप भी महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर पहुंच कर इन यात्रा में शामिल होकर आनंद के साथ पुण्य भी कमा सकते हैं
- पुष्कर में 50 से ज्यादा भागवत कथाओं का सफल आयोजन: यहां के भक्तगण अपने आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए पुष्कर में भागवत कथाओं का आयोजन करते हैं, जो धार्मिक समग्रता में आदर्श दिखाते हैं। पुष्कर सहित लोहरगढ़ प्रक्रिमा मार्ग में भगवत कथा का आयोजन गौ माता के कल्याण के लिए की जाती है.
- निशुल्क भोजन: आये हुए भक्तों के लिए मंदिर में निशुल्क भोजन की व्यवस्था है, जिससे सभी को समाजिक समृद्धि के साथ-साथ आध्यात्मिक संतोष भी मिलता है।
- मालकेत बाबा की 24 कोसीय परिक्रमा मार्ग कम से कम 10 कोसीय मार्ग पर प्रतिवर्ष भगत जी महाराज की ओर से निःशुल्क भंडारे, जल की व्यवस्था और विश्राम की व्यवस्थाएं की जाती हैं उनके इस सेवा भाव को देख कर उनके प्रति श्रद्धा और विश्वास और बढ़ जाता हैं
इस रूप में, इशरादास जी मंदिर एक माध्यम है, जिसमें आध्यात्मिकता, सेवा, और समाज के विकास के प्रति समर्पित लोग मिलते हैं। यह स्थल न केवल एक आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा है, बल्कि एक आदर्श समाज के निर्माण का भी स्रोत है, जो मानवता के महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूक करता है और उनके समाधान के लिए प्रेरित करता है।
समापन
धनावता, उदयपुरवाटी, क्षेत्र में स्थित इशरा दास जी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक समर्पित समुदाय का प्रतीक भी है। यहां के आदर्श और मूल्यों के साथ-साथ सेवा का भाव है, जिससे यह स्थल आध्यात्मिक समृद्धि के साथ-साथ समाज के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनता है।
जो भी इस मंदिर का दर्शन करता है, वह न केवल एक आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करता है, बल्कि सेवा के माध्यम से समाज के सुधार में भी योगदान करता है। इसके परिसर में स्थित कबूतरों की आवाज और गौमाता के सेवा का भाव, यहां के आध्यात्मिकता के माहौल को और भी विशेष बनाते हैं।
आओ, इशरा दास जी मंदिर में भगवान की कृपा और समाज सेवा के इस महत्वपूर्ण संग्रहण का हिस्सा बनें, और इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाएं।