बाबा रामदेव जी का जन्म विक्रम संवत 1409 में जैसलमेर जिले के रामदेवरा गांव में हुआ था। स्थानीय लोगों का मानना है कि इन्हें कुछ चमत्कारी शक्तियां भी प्राप्त थीं, लेकिन उन्होंने कभी भी इन चमत्कारी शक्तियों का गलत इस्तेमाल नहीं किया था। बाबा रामदेव जी ने सदा से ही जरूरतमंद लोगों की मदद करते थे। 33 वर्ष की उम्र में विक्रम संवत 1442 में बाबा रामदेव ने जीवित समाधि ले लिए, जिसके बाद से ही लोगों का बाबा रामदेव से अटूट आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है। आपको बता दें कि साल भर में बाबा रामदेव मंदिर में लाखों श्रद्धालु और पर्यटक बाबा रामदेव जी से दर्शन करने के लिए आते हैं। आपकी जानकारी के लिए आपको बता देता हूं कि बाबा रामदेव जी की पूजा देश के बहुत सारे लोगों के ईस्ट देवता के रूप में भी होती है, इसलिए उनकी मंदिर भारत के कई हिस्सों में फैला हुआ है और अधिकतर जगहों पर बाबा रामदेव जी को घोड़े पर सवार करके ही उनकी मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
बाबा रामदेवजी मुस्लिमों के भी आराध्य हैं और वे उन्हें रामसा पीर या रामशाह पीर के नाम से पूजते हैं। रामदेवजी के पास चमत्कारी शक्तियां थी तथा उनकी ख्याति दूर दूर तक फैली। किंवदंती के अनुसार मक्का से पांच पीर रामदेव की शक्तियों का परीक्षण करने आए। रामदेवजी ने उनका स्वागत किया तथा उनसे भोजन करने का आग्रह किया। पीरों ने मना करते हुए कहा वे सिर्फ अपने निजी बर्तनों में भोजन करते हैं, जो कि इस समय मक्का में हैं। इस पर रामदेव मुस्कुराए और उनसे कहा कि देखिए आपके बर्तन आ रहे हैं और जब पीरों ने देखा तो उनके बर्तन मक्का से उड़ते हुए आ रहे थे। रामदेवजी की क्षमताओं और शक्तियों से संतुष्ट होकर उन्होंने उन्हें प्रणाम किया तथा उन्हें राम शाह पीर का नाम दिया। रामदेव की शक्तियों से प्राभावित होकर पांचों पीरों ने उनके साथ रहने का निश्चय किया। उनकी मज़ारें भी रामदेव की समाधि के निकट स्थित हैं।
बाल अवस्था में रामदेव जी महाराज के चमत्कार
बाल अवस्था में रामदेवजी महाराज ने कई चमत्कार दिए रामदेव जी गुरु बालकनाथ जी के शिष्य थे। यहां पोकरण में एक भैरव राक्षस का आंतक था यह भैरव राक्षस श्री बालकनाथ जी का भी शिष्य था। एक बार रामदेव जी महाराज किसी कारण से बालकनाथ जी के धुना पर गए तो बालकनाथ जी ने रामदेव जी को कहा रामदेव तुम यहां से चले जाओ यहां भैरव आने वाला है। लेकिन रामदेवजी अवतार थे उनको पता था रामदेवजी यहां से नहीं गये तब तक भैरव राक्षस आ गया तब आनन-फानन में गुरु बालक नाथ जी ने रामदेवजी को अपनी कुटिया में छुपा लिया और ऊपर एक गोदड़ी ओढ़ा दी तभी भैरव राक्षस यहा आकर बोला गुरुदेव मुझे यहां किसी मानव की सुगंध आ रही है कहां है मुझे दो तभी राक्षस की नजर कुटिया में गोदड़ी पर पड़ी तो तुरंत कुटिया की तरफ गया और गोदड़ी खिसने लगा वह लगातार गोदड़ी खींचता गया लेकिन गोदड़ी पूरी नहीं हुई तब भैरव राक्षस को पता चल गया गोदरी के नीचे कोई साधारण मानव नहीं है। वह गोदड़ी छोड़कर भागने लगा तब रामदेवजी उठकर भैरव राक्षस को पकड़ लिया और उसको पाताल लोक पहुंचा दिया। यह चमत्कार देखकर आसपास के लोग और गुरु बालकनाथ जी आश्चर्य में पड़ गए इस प्रकार बाबा रामदेव जी के कई चमत्कार हैं।
श्री बाबा रामदेव मंदिर
बाबा रामदेव (रामापीर) का समाधी स्थल: वर्तमान मंदिर के गर्भ-गृह में बाबा रामदेवजी की समाधी स्थल है। इस स्थान पर बाबा रामदेवजी ने जीवित समाधि ली थी। मुख्य मंदिर के अन्दर प्रवेश करते ही बांयी दीवार में (आले) में अखण्ड ज्योति जलती है, जो कि बाबा के समाधि लेने से आज तक निर्बाध रूप से प्रज्वलित है। इस ज्योति में दवा प्राप्त अंजन नेत्र में लगाने से समस्त प्रकार के नेत्र रोगों से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर के गर्भगृह में तीन समाधियां है, कि बीच बाबा रामदेवजी की व आस पास में दादा श्री रणसीजी व माता मेणादे की समाधियां हैं। बाबा की समाधि पर शुक्ल दूज व एकादशी की स्वर्णमुकुट सुशोभित होता है। इस मुख्य समाधि-स्थल से आगे निकलने पर बाबा रामदेवजी के दोनों पुत्रों सादोजी व देवराज जी की समाधियां हैं।
डाली बाई की समाधी
बाबा के मंदिर के ठोक पूर्वी ओर डाली बाई का मंदिर है। कहा जाता है कि डाली बाई बाबा की परम भक्त थी। जब बाबा ने समाधि लेने का निर्णय लिया तो और अपने परिजनों एवं परिचित को बुलाकर समाधि खुदवाई। जब समाधि खुदकर तैयार हो गई तो डाली बाई ने कहा कि प्रभु पहले मैं समाधि लूंगी और यह जो समाधि खोदी गई है यह मेरी है आप दूसरी खुदवाइये। तब अन्य लोगों ने कहा कि आपकी समाधि होने का क्या प्रमाण। थोडी और खोदने का कहा और बताया कि अगर इस समाधि में आठी, डोरी, कांगसी (कंघी व सिर में गूंथने का सूत) निकले तो यह समाधि आप लोग मेरी मानना। तब ऐसा करने पर डाली बाई द्वारा बताये प्रमाण मिल गये। तब उस समाधि में डाली बाई विराजमान हो गई।
श्री बाबा रामदेव मंदिर परिसर
भादवा माह में मंदिर में भारी संख्या में लोग यहा दर्शन करने आते हैं। मंदिर में बाबा रामदेवजी की समाधि है। सामने ही पांच पीरों की मजार है। पास में ही डाली बाई की समाधि है। मंदिर में लोक जागरण होते हैं। मंदिर में दर्शन के लिए लाइन में लगना पड़ता है।
रूणीचा कुआँ
रेलवे स्टेशन से लगभग 2 कि.मी. दक्षिण पूर्व में स्थित है। वर्तमान रामदेवरा से पहले रूणीचा गांव ही आबाद था। जहां बाबा रामदेवजी ने अपनी लौलाएं को थी। लेकिन रामसरोवर की पाल पर बाबा के समाधि लेने के बाद उनके वंशजो ने वर्तमान रामदेवरा गांव बसाया था और रूणीचा गांव उजड़ गया।
रणुजा
श्री बाबा रामदेव मंदिर रणुजा गांव में स्थित है। रामदेवरा जैसलमेर के दर्शनीय स्थलों में से पहले स्थान पर है। रामदेवरा के पास ही पोकरण है। जैसलमेर के पोकरण शहर का नाम पूरी दुनिया में है। यह वही पोकरण है जहां पर भारत ने परमाणु शक्ति का सफल परीक्षण किया था। यहा आसपास भारतीय सेना का इलाका है। यहां पर कड़ी सुरक्षा है यहा जैसलमेर में कई दर्शनीय स्थल भी है।
रामसरोवर
बाबा रामदेव जी के मंदिर के पीछे की तरफ राम सरोवर है। रामसरोवर में यहां आने वाले भक्त पानी में डुबकी लगाते हैं और इस पवित्र जल से स्नान करते हैं।
रामदेव मंदिर कैसे पहुंचे ?
By Flight : रामदेवरा गांव में स्थित बाबा रामदेव मंदिर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जैसलमेर एयरपोर्ट है, जहां से बाबा रामदेव मंदिर की दूरी करीब 126 किमी. है। जैसलमेर एयरपोर्ट से आप बस पकड़ कर पोखरण जा सकते हैं और वहां से टैक्सी द्वारा श्री बाबा रामदेव मंदिर पहुंचा जा सकता है।
By Bus : श्री बाबा रामदेव मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन पोखरण है, जो इस मंदिर से करीब 14 किमी. की दूरी पर स्थित है। पोखरण रेलवे स्टेशन से श्री बाबा रामदेव मंदिर जाने के लिए टैक्सी की सुविधा उपलब्ध होती है।
By Train : श्री बाबा रामदेव मंदिर का नजदीकी बस स्टैंड जैसलमेर जिले के पोखरण में स्थित है, जो इस मंदिर से करीब 12 किमी. की दूरी पर स्थित है। पोखरण से आप टैक्सी द्वारा बाबा रामदेव मंदिर पहुंच सकते हैं।