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भारत एक धर्मप्रधान देश है । यहां विभिन्न देवी देवता निवास करते हैं । उन्हीं में से एक प्रसिद्ध स्थान है कसार देवी मंदिर जो उत्तराखंड में 2000 वर्षो से बना हुआ है । देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 8 किलोमीटर दूर कसार देवी गांव में रहस्यमई कसार देवी का मंदिर स्थापित है । मंदिर से जुड़े कई ऐसे रह्स्य हैं , जो लोगों को मंदिर की ओर आकर्षित करते हैं ।
समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर यह मंदिर स्थित है । इस स्थान पर प्रकृति की खूबसूरती के दर्शन होते हैं । जिसे देखकर मन को शांति महसूस होती है । यहां हर साल लाखों पर्यटक कसार देवी के दर्शन के लिए आते हैं। जिन्हें मां दुर्गा के रूप में जाना जाता है।
कसार देवी मंदिर का इतिहास :
- ऐसा माना जाता है , कि कसार देवी गांव में दूसरी शताब्दी माता कात्यायनी यहां अवतरित हुई थी ।
- एक प्राचीन मान्यता है, कि यहां एक अखंड ज्योति वर्षों से प्रचलित हो रही है ।
- मंदिर परिसर में एक हवन कुंड है , जिसमें उपस्थित लकड़ियां सदैव जल्दी रहती हैं ।
- कसार देवी के मंदिर में 1890 दशक में स्वामी विवेकानंद ने कुछ महीनों तक इस स्थान पर ध्यान लगाया था । स्वामी विवेकानंद को इसी स्थान पर ज्ञान की प्राप्ति हुई थी स्वामी विवेकानंद यह मानते थे , कि कसार देवी के मंदिर में आकर उनका जीवन धन्य हो गया ।
- वैज्ञानिक रिसर्च कहती है, कि कसार देवी का मंदिर में कई ऐसे अपार शक्तियां है या चुंबकीय शक्तियों का प्रभाव है , जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है ।
- कसार देवी का मंदिर उत्तराखंड का प्रसिद्ध शांतिपीठ के रूप में जाना जाता है ।
कसार देवी का मेला :
प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन कसार देवी के मंदिर में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है । भक्तगण कई सीढ़ियों को चढ़ने के बाद माता के दर्शन करते हैं । जब उन्हें माता के दर्शन होते हैं, तो उनकी थकावट मिनटों में गायब हो जाती है । यहां आकर भक्तगणों को अलौकिक मानसिक शांति का अनुभव होता है । देश विदेश से बड़ी संख्या में इस दिन यहां लोग आते हैं ।
कसार देवी मंदिर दर्शन हेतु जाने का सही समय :
अगर आप कसार देवी मंदिर दर्शन के लिए आते हैं , तो उसका सही समय मार्च से जून तक होता है । गर्मी के मौसम में भी उत्तराखंड के वातावरण में ठंडक रहती है । अक्टूबर और नवंबर का महीना भी यहां आने के लिए अच्छा रहेगा ।
कसार देवी मंदिर की कहानी :
सनातन धर्म में अधर्म पर धर्म की विजय की कई कहानियां प्रसिद्ध है । उसमें एक कहानी मां कात्यायनी की भी है ।
ऐसा कहा जाता है , बहुत समय पहले दो भयानक असुर शुम्भ और निशुम्भ का माता कात्यायनी ने कसार देवी स्थान पर वध किया था। यहां देवी दुर्गा के शेर के निशान चट्टानों पर अंकित है ।
ऐसा माना जाता है कि मां कात्यायनी ने इसी स्थान पर स्वयं साधना की थी , इसलिए यहां की भूमि में एक चुंबकीय शक्ति देखने को मिलती है ।
यहां जो भी साधना करता है , उसे असीम , शांति और सुखद अनुभव होता है । इस मंदिर की गणना उत्तराखंड के चमत्कारी मंदिरों में से एक में की जाती है ।
मंदिर चारों ओर से बड़े-बड़े देवदार के वृक्षों से गिरा हुआ है । यहां का सौंदर्य अद्भुत है।
कसार देवी मंदिर कैसे जाएं :
फ्लाइट के द्वारा :
उत्तराखंड का एक मुख्य शहर हल्द्वानी से लगभग 27 किलोमीटर दूर पंतनगर हवाई अड्डा है , जो कसार देवी मंदिर से 100 किलोमीटर की दूरी पर है । श्रद्धालु यहां आकर हवाई अड्डे से टेक्सी या निजी वाहन के द्वारा मंदिर में जा सकते हैं ।
रेल के द्वारा
कसार देवी मंदिर के निकटतम काठगोदाम रेलवे स्टेशन है। जहां यात्रीगण पहुंचकर बस या टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
सड़क द्वारा
कसार देवी मंदिर के लिए सड़क मार्ग भी बना हुआ है । आप हल्द्वानी से होते हुए , अल्मोड़ा के रास्ते सड़क मार्ग के द्वारा कसार देवी मंदिर पहुंच सकते हैं ।
दिल्ली से कसार देवी के बीच की दूरी लगभग 380 किलोमीटर होगी । दिल्ली से अगर आप कसार देवी मंदिर आना चाहते है , तो आप डायरेक्ट अल्मोड़ा के लिए बस लेकर आ सकते हैं , और अपने निजी वाहन या टैक्सी करके भी आ सकते हैं ।
दिल्ली में आनंद विहार और कश्मीरी गेट बस स्टेशन पर आपको अल्मोड़ा के लिए बस मिल जाती है । अगर आप चाहे तो पंतनगर एयरपोर्ट फ्लाइट के द्वारा आ सकते हैं , फिर मंदिर तक के लिए टैक्सी कर सकते हैं ।
कसार देवी मंदिर के आसपास घूमने की स्थान :
कसार देवी मंदिर के कई ऐसे प्रमुख स्थान है , जिसकी सुंदरता अद्भुत है
- बिनसर वन्य जीव अभ्यारण्य लगभग 15 किलोमीटर
- जागेश्वर मंदिर लगभग 36 किलोमीटर
- बैजनाथ मंदिर लगभग 70 किलोमीटर
- कटारमल मंदिर लगभग 100 किलोमीटर
- चितई गोलू देवता मंदिर लगभग 10 किलोमीटर
- कैक्स रिच (कसर देवी में)